For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"तड़ाक !"

थप्पड़ बड़े जोर का था और साहब की उतनी ही तीखी आवाज़

"खाने में फिर बाल , दिखाई नहीं देता तुमको "|

बाई भी सहम गयी और सोचने लगी कि कल तो मेमसाब कह रहीं थीं कि कैसा मर्द है तुम्हारा, तुमको पी कर पीटता है , और साहब ने तो आज पी भी नहीं है | 

 ( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 16, 2014 at 1:06am

आभार सौरभ पाण्डेयजी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:40am

अभी-अभी आपकी उस लघुकथा से गुजर रहा था जहाँ स्वतंत्रता दिवस के माहौल पर हम अटपटे हुए जारहे थे. कि, सामने यह लघुकथा आ गयी.  और सच कहूँ तो यह कथा अपने माहौलके कारण ही विश्वसनीय तथा मुखर बन गयी है.
एक अत्यंत सार्थक, सोद्येश्य तथा सटीक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय विनय जी.
शुभ-शुभ

 

Comment by विनय कुमार on July 9, 2014 at 9:08pm

आभार सुभ्रांशुजी एवम जवाहरलाल जी..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 9, 2014 at 8:58pm

आखिर मर्द की मर्दानगी तो पत्नी पर ही दिखलाई पड़ती है… अत्यंत छोटी लघु कथा पर सन्देश बड़ा 

Comment by Shubhranshu Pandey on July 9, 2014 at 8:24pm

आदरणीय विनय जी,

सुन्दर कथा. बाई की सोच ने कथा को और भी विस्तार दिया है...बधाई.

सादर.

Comment by विनय कुमार on July 9, 2014 at 7:51pm

आभार विजय निकोरेजी |     

Comment by vijay nikore on July 9, 2014 at 3:29pm

लघु कथा अच्छी लगी। बधाई।

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 6:41pm

शुक्रिया अरुणजी..

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2014 at 3:22pm

वाह आदरणीय विनय भाई जी थप्पड़ वाकई जोरदार और असरदार है मजा आ गया दिल से बधाई स्वीकारें.

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 12:31pm

आभार रवि प्रभाकरजी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
53 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service