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सूरज की तपिश,

चॅाद की शीतलता,

फूलों की महक,

शब्‍दों से खुशी,

शब्‍दो से रास्‍ते,

दिखाता एक कवि है,

शब्‍दो केा माले में पिरोता,

एक कवि है,

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी

जीता कवि है।

गुमसुम उदास आखेां मे,

हसीन सपने दिखाता कवि है,

भागभाग की जिन्‍दगी में,

सकून के पल देता कवि है,

रोते हुए चेहरे को,

हॅसाता एक कवि है,

जिन्‍दगी से हारे को,

हौसला देता कवि है

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक कवि है । 

प्रेम की परिभाषा बताता कवि है,

दिल का दर्द,दिल की बाते,

बताता एक कवि है,

हर शख्‍स को आईना,

दिखता है एक कवि है,

फिर गुमनामी की

जिंन्‍दगी जीता एक कवि है।

चंद सिक्‍को का भूखा नहीं है,

सम्‍मान का मोहताज नहीं है,

कवि तो बस भूखा है ,

दशाहीन ,दिशाहीन समाज को,

दशा और दिशा देने का,

भटकते समाज केा सुधारने का

अखंड को हॅसाने का,

दुख दर्द के आज इस दौर में

दो पल आपको सूकून के देना का,

यह  सोचता एक कवि है,

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक---कवि है।

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

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Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 29, 2013 at 11:13am

रोते हुए चेहरे को,

हॅसाता एक कवि है,

जिन्‍दगी से हारे को,

हौसला देता कवि है

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक कवि है ।

बहुत ही सुंदर भाव, कवि के अंतर की भावनाओं को पूर्णत: स्पष्ट करती रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय अखंड जी

Comment by Sushil.Joshi on October 28, 2013 at 5:06am

एक कवि के अंतर्मन एवं उसकी भावना को सुंदर तरीके से सँजोया है आपने आ0 अखंड भाई जी...... बहुत बहुत बधाई

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 10:23pm

एक कवि की सोच... उसकी भावना..... उसका व्यवहार..... उसके सुख......उसके दुख.......उसकी मुश्किलें...... उसकी जद्दोजहद.....सब कुछ कह दिया आपने इस एक रचना में........बहुत ही सराहनीय.......!!!!

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on October 27, 2013 at 9:52pm

रोते हुए चेहरे को,

हॅसाता एक कवि है,

जिन्‍दगी से हारे को,

हौसला देता कवि है

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक कवि है ।

सही बात कही आपनें ...इतना कुछ होने के बाद भी एक कवी गुमनामीं कि ज़िन्दगी जीता है ...वैसे आपकी रचना को दिल से बधाई ..

Comment by Saarthi Baidyanath on October 27, 2013 at 4:13pm

बहुत बढ़िया ...कवि के रंगरेज चरित्र के सारे रंगों को समेटा है आपने ...वाह :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 27, 2013 at 3:39pm

आदरणीय अखंड भाई , कवि की आंतरिक भावनाओं को आपने बहुत अच्छे से बयान किया है !!!!! बधाई !!!!

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