For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वेदना (रवि प्रकाश)

वितान चाँदनी बुने न रात हो सुहावनी,
न बोलते विहंग हों न भोर हो लुभावनी।
बहार की पुकार पे हवा न गीत गा सके,
विमुक्तकण्ठ कोकिला न रागिनी सुना सके।

विलास हो न हास हो उदास हो वसुंधरा,
हताश अंतरिक्ष हो महान मौन से भरा।
वसंत की सुगंध में घुला हुआ विषाद हो,
बयार में,फुहार में विलाप का निनाद हो।

न प्रीत की परंपरा न गीत हो प्रयाण का,
उमंग की तरंग हो न संग हो कृपाण का।
जले न दीपमालिका न इष्ट देवता मिले,
न इन्द्रचाप सी कभी सुदर्श कल्पना खिले।

न याचना भविष्य की अतीत की उपासना,
न रंग की सजावटें न रूप का उलाहना।
न कामना उतावली घड़ी-घड़ी छला करे,
न चित्त के प्रदेश में सुहासिनी पला करे।

इसीलिए दरिद्रता ललाट पे सजी रहे,
कवित्त की तरंगिणी न रंगरेल से बहे।
सदैव वेदने, तुझे सयत्न मैं सँभालता,
विनीत हो प्रगीत में रहूँ सदा पुकारता।

मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on October 19, 2013 at 6:40am
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 19, 2013 at 2:46am

मन को भावों की मधुरिमा से सिक्त करती अति सुगढ़ रचना के लिये हार्दिक अभिनंदन आदरणीय

Comment by बृजेश नीरज on October 18, 2013 at 11:09pm

बहुत ही अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Ravi Prakash on October 18, 2013 at 9:13pm
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए आप का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 18, 2013 at 6:04pm

आदरणीय रवि भाई , छ्ंद ज्ञान नही है,लेकिन रचना बार बार पढा, प्रवाह और शब्द संयोजन बहुत सुन्दर लगे !!!! रचना के लिये बधाई !!!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2013 at 5:44pm

वेदना के भावो को सुन्दर शब्द संयोजन से लिखे गए सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Ravi Prakash on October 18, 2013 at 1:54pm
धन्यवाद जी।
Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 12:29pm

न याचना भविष्य की अतीत की उपासना,
न रंग की सजावटें न रूप का उलाहना।
न कामना उतावली घड़ी-घड़ी छला करे,
न चित्त के प्रदेश में सुहासिनी पला करे।.................सुंदर प्रस्तुति.

Comment by Shyam Narain Verma on October 18, 2013 at 11:13am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by Ravi Prakash on October 18, 2013 at 10:53am
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया आ॰ गीत जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service