For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत माँ की बिंदी प्यारी अपनी हिन्दी

--------------------------------------------

मस्तक राजे ताज सभी भाषा की हिन्दी

ज्ञान दायिनी कोष बड़ा समृद्ध विशाल है

संस्कृत उर्दू सभी समेटे अजब ताल है

दूजी भाषा घुलती हिंदी दिल विशाल है

लिए हजारों भाषा करती कदम ताल है

जन - मन जोड़े भौगोलिक सीमा को बांधे

पवन सरीखी परचम लहराती है हिंदी

भारत माँ की बिंदी  प्यारी अपनी हिन्दी  ...........

============================

१ १  स्वर तो ३ ३ व्यंजन 52 अक्षर अजब व्याकरण

गिरना उठना चलना सब सिखला बैठी अन्तःमन

कभी कंठ से कभी चोंच से होंठ कभी छू आती हिन्दी 

सुर की मलिका  सात सुरों गा, दिल अपने बस जाती हिन्दी

उत्तर-दक्षिण पूरब-पश्चिम ,  दसों दिशा लहराती हिन्दी

आदिकाल से रूप अनेकों धर भाषा संग आती हिन्दी

गाँव-गाँव की जन-जन की अपनी भाषा बस जाती हिन्दी 

उन्हें मनाती मित्र बनाती चिट्ठी -चिटठा लिखवाती हिन्दी 

 

भारत माँ की बिंदी  प्यारी अपनी हिन्दी  ...........

============================

शासन भी जागा है अब तो रोजगार दिलवाती हिन्दी

पुस्तक और परीक्षा हिन्दी  साक्षात्कार करवाती हिन्दी

अभियन्ता तकनीक लिए मंगल शनि जा आती हिन्दी

शिक्षण संस्था संस्कृति अपनी दिल में पैठ बनाती हिन्दी

आँख-मिचौली सुप्रभात से बाल-ग्वाल से पुष्प सरीखी

न्यारी-प्यारी महक चली ये गली-गली है बड़ी दुलारी

नमो -नमः तो कभी नमस्ते झुके कभी नत-मस्तक होती

सिर ऊँचा कर गर्व भरी परचम अपना लहराती हिन्दी

 

भारत माँ की बिंदी  प्यारी अपनी हिन्दी  ...........

============================

गुड़ से मीठी शहद भरी जिह्वा -जिह्वा बस जाती हिन्दी

मातु-कृपा है श्री भी संग में रचे विश्वकर्मा सी हिन्दी

गुरु-शिष्य हों माताश्री या पिताश्री  से सीखे हिन्दी

क्रीड़ा करती उन्हें पढ़ाती विश्व-गुरु बन जाती हिन्दी 

लौहपथगामिनी छुक-छुक छुक-छुक भक-भक अड्डा जाती

मेघ-दूत बन , दिल की पाती प्रियतम को पहुंचाती

प्रिय प्रियतम का तार जोड़ मन दिल के गीत गवाती हिन्दी

सखी-सहेली छवि प्यारी ले सब का नेह जुटाती हिन्दी

 

भारत माँ की बिंदी  प्यारी अपनी हिन्दी  ...........

============================

इसकी महिमा न्यारी प्यारी बड़ी सुकोमल दृढ है हिन्दी

पारिजात सी कामधेनु सी मनवांछित दे जाती हिन्दी

छंद काव्य या ग्रन्थ सभी हम आओ रच डालें हिन्दी

प्रेम शान्ति हो कूटनीति या राजनीति की चिट्ठी पाती

हिंदी रस में डुबा लो प्यारे जन-कल्याण ये कर आती

आओ वीरों सभी सपूतों बेटी-बिदुषी ले के हिन्दी

साँसें  हिंदी जान है हिन्दी वतन अरे ! पहचान है हिन्दी

 

भारत माँ की बिंदी  प्यारी अपनी हिन्दी  ...........

============================

 

मान है ये सम्मान है ये, भारत माता की बिन्दी हिन्दी

अलंकार है रस-छंदों की गागर-सागर- मंथन हिन्दी

रमी प्रकृति में हमें झुलाती सावन-मनभावन सी हिन्दी

कजरी-तीज,  पर्व संग  सारे चोला -दामन साथ है हिन्दी

आओ रंग-विरंगे अपने पुष्प सभी हम गूंथ-गूंथ के माला  एक बनायें

माँ भारति का भाल सजा के जोड़ हाथ सब नत-मस्तक हो जाएँ

माँ का लें  आशीष नेक और एक बनें हम हिन्दी से जुड़ जाएँ

आओ भरें उड़ान परिन्दे  सा पुलकित हो परचम हिन्दी लहरायें

 

भारत माँ की बिंदी  प्यारी अपनी हिन्दी  ...........

============================

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'

3.15 A.M. -4.49 A.M.

22.09.2013

प्रतापगढ़

वर्तमान-कुल्लू हिमाचल

भारत

Views: 2124

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:10am

प्रिय अनंत जी अपनी हिंदी को इतना मान सम्मान यों ही हर स्थान पर मिले आइये ऐसी कामना करें
समर्थन हेतु आभार
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:08am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी जय श्री राधे ...अपनी हिंदी की इस रचना को आप से भरपूर प्यार मिला समर्थन मिला उम्मीद है सब इसे ऐसे ही सर आँखों पर बिठाये रखेंगे
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:07am

आदरणीया मीना जी जय श्री राधे सच में अपने माँ भारत के माथे की बिंदी है ही अपनी प्यारी हिंदी आओ इसे और सजाएँ
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:06am

प्रिय अखिलेश भाई जी ...मन गदगद हुआ अपनी हिंदी के समर्थन में आप के शब्द सुन ..अपना स्नेह यों ही बनाये रखें
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:05am

प्रिय रमेश कुमार जी इस अपनी हिंदी के बखान मान में ..अपनेपन की खुश्बू मिली और आप ने समर्थन दिया अच्छा लगा
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:02am

आदरणीया राजेश कुमारी जी ..अपनी प्यारी भाषा हिंदी को आप का समर्थन मिला इसके भाव आप के मन को छू सके ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:01am

आदरणीय गिरिराज जी प्रोत्साहन हेतु आभार ..अपनी मातृभाषा हिंदी को आप का समर्थन मिला ख़ुशी हुयी
भ्रमर ५

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 10:58am

आदरणीय भाई जी हिंदी की महिमा का सुन्दर वर्णन किया है बहुत ही सुन्दर रचना ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by annapurna bajpai on September 23, 2013 at 7:54pm

वाह !!!!!!! क्या बात है , शानदार रचना हेतु बहत बधाई आपको आदरनीय सुरेन्द्र कुमार जी ।

Comment by Meena Pathak on September 23, 2013 at 7:46pm

बहुत सुन्दर हिन्दी की बिन्दी लगाई आपने .. अति सुन्दर 
बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service