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अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस-

टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस |
अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस |


खड़ी निकाले खीस, रेप वह भी तो झेले |
न्याय मरे प्रत्यक्ष, कोर्ट के सहे झमेले |


नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||

.

मौलिक / अप्रकाशित

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Comment

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Comment by रविकर on September 2, 2013 at 8:06pm

आभार आदरणीय-आ जितेन्द्र जी, अखिलेश कृष्ण जी, केवल जी , विजय मिश्र जी-
आदरणीय केवल जी !
दरअसल जब कोई शब्द,  प्रवाह की दृष्टि से बाधक बन जाता है तो ऐसी छूट ले लेता हूँ-
जैसा कि इस केस में है-
टला से अंत करना प्रवाह में बाधक था-
इसलिए फैसला भी जोड़ना पड़ा-
सादर-

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 2, 2013 at 7:48pm

आ0 रविकर भाई जी,  सादर प्रणाम!   भाई जी, मैं पढ़ा है कि कुझडलियां छन्द  जिस शब्द, जैसे..’टला’ से प्रारम्भ होता है  तो उसी शब्द...’टला’ पर ही समाप्त भी होना चाहिए किन्तु आपके कुण्डलियों में अक्सर ऐसा होता है कि आप दो शब्दों का प्रयोग करते हैं।  यथा....’टला फैसला’ क्या यह  उचित है...?।  कृपया स्पष्ट करना चाहें।  आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 2, 2013 at 7:29pm

रविकर भाई - सप्रेम राधे-राधे ॥ टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस | सभी पंक्तियों में तीखा व्यंग्य है-- बधाई ।

Comment by विजय मिश्र on September 2, 2013 at 7:10pm
उपहासास्पद लगता है यह न्याय प्रणाली और इसके अनुच्छेदों का क्या कहना . सब कुव्यवस्थित है और अपराधियों केलिए ........ .
Comment by राजेश 'मृदु' on September 2, 2013 at 6:55pm

आपके अंदाज निराले हैं,  जिस तरह से आप अपनी बात रखते हैं इसमें मुझे बार-बार बाबा नागार्जुन की याद आ जाती है, सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 1, 2013 at 11:31pm

अति सुंदर रचना प्रस्तुति, बधाई आदरणीय रविकर जी

Comment by रविकर on September 1, 2013 at 9:13pm

बहुत बहुत आभार
आप सभी महानुभावों का -
सादर-

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 1, 2013 at 8:19pm

समसामयिक उपयुक्त कथ्य ! ...न्याय पालिका को विचार करना चाहिए नहीं तो न्यायधीश के जगह सॉफ्टवेअर डाल कर फैसला निकाल लेते ..फार्मूला बिठाकर समीकरण हल कर लेते!

Comment by Satyanarayan Singh on September 1, 2013 at 7:59pm

आदरणीय रविकर जी सादर,आपके निम्न विचार से पुर्णतः सहमत हूँ.

नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 1, 2013 at 10:13am

आपका तो सचमुच जवाब नहीं ..सादर प्रणाम के साथ 

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