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सार/ललित छंद, प्रथम प्रयास ----- वेदिका

सार/ललित छंद १६ + १२ मात्रा पर यति का विधान, पदांत गुरु गुरु अर्थात s s से,, छन्न पकैया पर प्रथम प्रयास / क्रिकेट विषय 

छन्न पकैया छन्न पकैया, टॉस करेगा सिक्का  

कौन चलेगा पहली चाली, हो जायेगा पक्का  ।। १ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, कंदुक लाली लाली 

इक निशानची ठोकर मारे, गिल्ली भरे उछाली।। २ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, बादल छटते जाये 

आँखों में है धूर झोंकते, धन भर घर ले आये  ।। ३ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, गिरा राज का कुंदा 

हाथ हथकड़ी पांव बेड़ियाँ, गले पड़ गया फंदा  ।। ४ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, चले काठ का बल्ला 

गेंद गयी सीमा बाहर ते, दीदों में है हल्ला      ।। ५ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, तू जीती या हारी 

ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी      ।। 

छन्न पकैया छन्न पकैया, अब प्रेशर है भारी 

गुट्ट्म गोल दना दन सरपट, दौड़ी जो दे मारी  ।। ७ 

                                      

                                     गीतिका 'वेदिका'  संशोधित* 

                                

मौलिक एवम अप्रकाशित 

  

 

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Comment by वेदिका on August 4, 2013 at 8:53pm

आभार आदरणीय श्याम नारायण जी!

आपने रचना को सराहा ,,

सादर !!  

Comment by वेदिका on August 4, 2013 at 8:53pm

आदरणीय अभिनव अरुण जी! 

आपने छंद रचना को सराहा ...मेरी लेखनी कृतार्थ हुयी,, स्नेह बनाये रखिये !

Comment by Abhinav Arun on July 31, 2013 at 7:10pm

छंदों में अद्भुत सौन्दर्य ... आनंदित करती अति सुन्दर सुगठित रचना ... उम्दा बहुत बधाई और असीम शुभकामनायें आदरणीया !!

Comment by Shyam Narain Verma on July 11, 2013 at 3:38pm
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."
Comment by वेदिका on July 9, 2013 at 1:23am

आदरणीय कल्पना जी! 

रचना को आपका अनुमोदन मिला, मन हर्षित हुआ!

स्नेह बनाये रखिये!   

Comment by कल्पना रामानी on July 8, 2013 at 11:24pm

वाह, वाह!! सचमुच आनंद आ गया। इतना प्रवाहमय सुंदर गीत, एक साथ चार बार पढ़ लिया। बहुत बहुत बधाई आपको गीतिका जी... 

Comment by वेदिका on July 4, 2013 at 10:05pm

 //एक ही बात कहूँगा - "मज़ा आ गया"// इतना गजब की प्रतिक्रिया। :)))

वाकई रचना कर्म धन्य हुआ!!  दिल से आभार आदरणीय शिज्जू जी!    


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 4, 2013 at 9:59pm

वेदिका जी,नमस्कार,

इस प्रकार की प्रस्तुति पर यूँ लगता है वक्ता कहता जाए और हर एक लफ़्ज़ उत्सुकता से सुनता रहूँ.

मैं एक ही बात कहूँगा - "मज़ा आ गया"

Comment by वेदिका on July 4, 2013 at 2:15pm

अहा!! इतनी सारी वाह्ह ,, रचना कर्म सार्थक हुआ,

 आपका अतिशय धन्यवाद आदरणीय राजेश झा जी!   

Comment by राजेश 'मृदु' on July 4, 2013 at 2:01pm

हमारी तरफ से इन प्रस्‍तुति के लिए 108 बार वाह-वाह कबूल करें, बहुत ही सुंदर रचना, शब्‍द चयन एवं भाव है

कृपया ध्यान दे...

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