For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शहर की तंग गलियों से

शहर की  तंग  गलियों से निकलना चाहती हूँ,
मैं अपने गाँव के अंचल में  जाना चाहती  हूँ .

वो मौसम आम के ,डालियों से झूलना मेरा,
उन्हीं शाखों पे फिर झूम जाना चाहती हूँ .

बहुत ही याद आती हैं मेरे गांव की सखियाँ,
उन्हीं सखियों के संग खिलखिलाना चाहती हूँ .

बड़ी रफ़्तार वाली है शहर की ज़िन्दगी लेकिन,
मैं फुर्सत के वे लम्हे फिर चुराना चाहती हूँ .

चढ़ती ही जाऊं आस्मां की सीढ़ियाँ लेकिन,
जमीं पे ही अपना घर बसाना चाहती हूँ .

संजू शब्दिता  मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 779

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanju shabdita on June 7, 2013 at 12:25pm

aap sabhi respected longon ka hriday se bahut-bahut aabhar...main online na sahi ,par ofline ghazal ki barikiyan sikhne ki koshis kar rahi hun..meri yah rachna tab ki hai jab mai greduation kar rahi thi..margdarshan ke liye aap sabhi gudijanon ka tahedil se shukriya..

Comment by वीनस केसरी on June 4, 2013 at 9:21pm

बहुत ही याद आती हैं मेरे गांव की सखियाँ, 
उन्हीं सखियों के संग खिलखिलाना चाहती हूँ .

बीते लम्हों को आपने बेहतर याद किया 
अच्छा हो की शिल्प के प्रति और आग्रही हुआ जाए ..

शुभकामनाएं 

Comment by वेदिका on June 3, 2013 at 3:13pm

सुन्दर रचना 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2013 at 12:44pm

आदरणीया संजू जी, यह कविता अच्छी है, मनोहर यादों को जीती हुई पंक्तियाँ अच्छी भी हैं लेकिन शिल्पगत कमियाँ बहुत हैं. ग़ज़ल के फ़ॉर्मेट को समझने केलिए भाई बृजेश जी के सुझावों पर अमल करें. 

शुभेच्छाएँ

Comment by sanju shabdita on June 3, 2013 at 7:59am

aadarnieya coontee ji..mere bhav aapko ateet me le gaye,,,samjhiye mera likhna sarthak hua...haunsla-aafjayi ke liye aapka bahut-bahut shukriya...

Comment by coontee mukerji on June 3, 2013 at 1:25am

बहुत ही सुंदर सुखद रचना , जो अतीत की यादो से मन को गुद्गुदा देता है ./ सादर / कुंती .

Comment by sanju shabdita on June 3, 2013 at 12:02am

kishan ji aapka bahut-bahut dhanyavad

Comment by अमित वागर्थ on June 2, 2013 at 11:26pm
wah ati sundar
Comment by sanju shabdita on June 2, 2013 at 8:23pm

respected brijesh sir aapka bahut bahut shukriya . main ghazal ki kakcha me jarur pravesh lungi........

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2013 at 8:04pm

बहुत बधाईयां आपको इस प्रयास पर! कहन बहुत अच्छा है।
गजल की कक्षा या गजल की बातें नाम के दो समूह ओबीओ पर मौजूद हैं उनमें प्रवेश लें तो बेहतर होगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
10 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
17 hours ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service