For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा

 पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा 

चरण कमल रखे तभी वहीँ पास में बैठा प्रभात का पालतू कुत्ता बुलेट उन पर जोर जोर से भौकने लगा .गुरुदेव के उज्जवल मस्तक पर क्षण भर को कुछ लकीरें उभरी और फिर होंठों पर मुस्कान .गुरुदेव ने स्नेह से बुलेट के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- ''शांत हो जाओ मैं समझ गया हूँ .ईश्वर तुम्हे मुक्ति प्रदान करें !'' गुरुदेव के इतना कहते ही बुलेट शांत हो गया और अपने स्थान पर जाकर बैठ गया .वहां उपस्थित प्रभात सहित उसके परिवारीजन यह देखकर चकित रह गए क्योंकि बुलेट को शांत करना वे सभी जानते थे कि बहुत मुश्किल होता है .थोड़ी देर बाद जब गुरुदेव ने अपना निर्धारित आसन ग्रहण कर लिया तब गंभीर व् अमृततुल्य वाणी में वे कोमल स्वर में बोले - ''आप सभी चकित हैं कि आपका प्रिय जीव मुझसे क्या कह रहा था ? प्रभात ये जो श्वान योनि में है पिछले जन्म में ये एक सर्राफ था और तुम इससे उधार लेने वाले गरीब किसान .जब तुम उधार लौटने इसकी गद्दी पर गर्मी में जाते ये तुम्हे बाहर धूप में इंतजार करवाता और खुद शीतल कमरे में बैठता .इसीलिए आज ये तुम्हारे द्वार पर सर्दी-गर्मी के थपेड़े खाता है ....पर तुम दयालु हो ....इसका ध्यान रखते हो ...खाने को देते हो ...सर्दी गर्मी में इसे लू-ठंड के थपेड़ों से बचाने का प्रयास करते हो क्योंकि कहीं न कहीं तुम्हारे सूक्ष्म शरीर में पिछले जन्म में इससे लिए गए उधार का बोझ बना हुआ है .आज मेरे यहाँ प्रवेश करते ही ये जीव मुझसे कहने लगा -मुझे इस नाप्रभात के घर आज गुरुदेव आने वाले थे .गुरुदेव का सम्मान प्रभात का पूरा परिवार करता है .गुरुदेव ने ज्यों ही उनके मुख्य द्वार पर अपने रकीय जीवन से मुक्ति दिलवाइए !मैंने स्नेह से इसके मस्तक पर हाथ फेरा तो निज पाप कर्मों की अग्नि से तपती इसकी आत्मा को ठंडक पड़ी . और यह शांत भाव से बैठ गया .हम सभी के लिए यह एक उदाहरण है कि हमें अपना हर कर्म पाप-पुण्य की कसौटी पर कसकर ही करना चाहिए अन्यथा विधाता आपको दण्डित अवश्य करेंगें ! जय भोलेनाथ की !!'' गुरुदेव के यह कहते ही सब उनके चरणों में नतमस्तक हो गए .

  • शिखा कौशिक 'नूतन'

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 29, 2012 at 6:57am

शिखा जी, विद्वानों की राय आपके पक्ष में है, इसलिए मेरी पिपिहरी का विशेष महत्व नही रह जाता ! फिर भी, मै आपको इस लघुकथा में संप्रेषित सोद्देश्यता पूर्ण विचारों के लिए ही बधाई दे पाऊंगा, कथानक के लिए नही ! अनुज की धृष्टता समझें..... बधाई !

Comment by shalini kaushik on October 28, 2012 at 10:49pm

nice and inspiring story .

Comment by shikha kaushik on October 27, 2012 at 10:02pm

उमाशंकर जी ,सौरभ जी ,अनिल  जी ,लक्षमण  जी -रचना को सराहने हेतु हार्दिक आभार .पीयूष जी यदि विद्वानों की राय प्राप्त हो गयी हो तो मुझे भी उससे अवगत करवाएं ताकि मैं भी अपने लेखन में सुधार कर सकूं .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 26, 2012 at 11:46am

इस कथा को पढ़कर (सुनकर) गुरुदेव के समक्ष मै भी नत मस्तक हूँ 

Comment by Anil chaudhary "sameer" on October 26, 2012 at 11:31am
 शिखा जी सादर नमस्कार,
आपने अपनी लघु कथा के माध्यम से जो नैतिकता का सन्देश देने की कोशिश की है, वह बहुत ही सराहनीय है.....
पाप-पुण्य की कसौटी मनुष्य की अपनी अंतरात्मा है, आज का समय ढोंगियों का है, जो अन्दर से कुछ और बाहर से कुछ और हैं, क्योंकि उनकी अंतरात्मा सही-गलत, नैतिक-अनैतिक की परवाह छोड़ कर धन-दौलत और अपने-पराये की परवाह में लग गयी है, जिससे सम्पूर्ण  मानव जाति पतन की और अग्रसर है!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 26, 2012 at 10:13am

विशेष भाव में एक विशिष्ट उक्ति. दैनिक जीवन की घटनाओं के पीछे की अबूझ अवधारणाओं की तारतम्यताओं को ढूँढने का प्रयत्न करती मनोदशा के सम्यक उद्गार पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें शिखा ’नूतन’ जी.

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 26, 2012 at 10:01am

शिखा जी .... यह बात तो सनातन सत्य है ! इस लघुकथा में उस सनातन सत्य को साफ़ सीधे कहा गया है, ये कोई कथा जैसी नही लग रही ! अन्य विद्वानों से भी राय चाहूँगा !

Comment by UMASHANKER MISHRA on October 25, 2012 at 11:30pm

 बहुत ही नेक जज्बातों के साथ लिखी गई लघु कथा है 

अति सुन्दर ,शिक्षाप्रद है 

शिखा कौशिक जी हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service