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मन की बेकल धरती पर

मन की बेकल धरती पर जब, कोई बदरी छा जाए
जब बात पुरानी कोई आकर, मेरी याद दिला जाए
तब नाम हमारा लेकर खुद को, नींदों में तुम भर लेना
स्वप्नों में मिलने आयेंगे, तुम आँखों को बंद कर लेना

आस मिलन की घुल जाए, हर अंगडाई हर करवट में
जब बस जाए बस मेरा चेहरा,माथे की हर सलवट में
जब बेसुध से ये कदम तुम्हारे, दौडें बरबस देहरी को
जब मेरे आने की आहट, तुम सुन बैठो हर आहट में

तब मेरा नाम लिखे हाथों को, हारी पलकों पर धर लेना
स्वप्नों में मिलने आयेंगे, तुम आँखों को बंद कर लेना

-पुष्यमित्र उपाध्याय

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 23, 2012 at 10:00am
मन की कोमल भावनाएं और बहुत सुन्दर सहज शब्द... इस बहुत प्यारी मासूम अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई. पुष्यमित्र जी
Comment by Pushyamitra Upadhyay on August 22, 2012 at 8:05pm

इतनी तारीफ़?
मैं सच में अभिभूत हूँ
आप सब का स्नेह पाकर
 सभी अग्रजों को सादर प्रणाम करता हूँ
एवं सभी मित्रों को सहृदय धन्यवाद

यूं ही आशीष व नेह बनाए रखिये, आपको निराश नहीं करूँगा..... :)

Comment by राजेश 'मृदु' on August 22, 2012 at 1:30pm

बड़ी नरमाई के साथ लिखा है आपने अंतिम दो पंक्तियां बेहद खूबसूरत हैं

Comment by Rekha Joshi on August 22, 2012 at 1:01pm

आस मिलन की घुल जाए, हर अंगडाई हर करवट में
जब बस जाए बस मेरा चेहरा,माथे की हर सलवट में
जब बेसुध से ये कदम तुम्हारे, दौडें बरबस देहरी को
जब मेरे आने की आहट, तुम सुन बैठो हर आहट में,अतिसुन्दर भाव पुष्यमित्र जी ,हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 12:40pm

बहुत सुन्दर साहब
बधाई आपको इस रचना हेतु स्वीकार कीजिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2012 at 10:06am

सुन्दर कोमल भावनाओं को अपने में समेटे बहुत प्यारी प्रस्तुति 

Comment by satish mapatpuri on August 22, 2012 at 2:57am

तब मेरा नाम लिखे हाथों को, हारी पलकों पर धर लेना
स्वप्नों में मिलने आयेंगे, तुम आँखों को बंद कर लेना

वाह ... वाह .. पुष्यमित्र साहेब ... बड़ा ही मासूम और नाज़ुक ख्याल है . बधाई दे रहा हूँ आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2012 at 11:46pm

मन की कोमलता पंक्तियों से उझकती-झाँकती दीख रही है. सुदर प्रयास हुआ है.

बधाई

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