1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए
नयना दुख-दुख नीर बहाए,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखि साजन ? न सखी चश्मा l
2.
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? न सखी दर्पण l
Comment
सादर
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? न सखी दर्पण lwah kya andaz hai...Prachi ji.
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी, आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार. आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी व आ. अम्बरीश जी द्वारा ज्ञानार्थियों पर साहित्यिक बारीकियों के अनमोल ज्ञान की वर्षा हेतु उन्हें हार्दिक साधुवाद.
आपका हार्दिक स्वागत है !
आपको यह कह कर मुकरना रुचिकर लगा , इस हेतु आपका आभार संदीप पटेल जी
आदरणीय डॉ. सूर्या बाली जी, इन कहमुकरियों को पसंद कर अपनी कीमती प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हार्दिक आभार.
आदरणीय अलबेला जी, आपके बाँचने से इन कह-मुकरियों को मान मिला है, आपका आभार.
कह-मुकरियों को सराहने हेतु आभार आ. उमाशंकर जी
कह मुकरियों को पसंद कर, बधाई प्रेषित करने हेतु आभार कुमार गौरव जी
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