For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात आई
काली चुनरी ओढ़ के
नीले व्योम को ढँक लिया
घुप्प अँधेरा,
सन्नाटे बातें करते हैं
हवाओं से
दूर से आती हैं कुछ आवाजें
डरावनी सी भयानक सी
कानों में खुसफुसाती हैं
जिस्म में उठती है सरसराहट
लेकिन ये क्या
किसी ने ये क्या किया
झिलमिल कर जगमगा उठे
अनगिनत टिमटिमाते दीप
अँधेरे को मिटा के
बिखेर दी रौशनी
जमीं रंगीं
आसमान रोशन हो उठा
पर ये कौन है
जिसने किया है
आकाशगंगा पर "दीपदान"
आखिर कौन है ????

संदीप पटेल "दीप"

Views: 404

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harish Bhatt on July 7, 2012 at 11:04am

संदीप जी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 6, 2012 at 11:03pm

किसी ने ये क्या किया 
झिलमिल कर जगमगा उठे 
अनगिनत टिमटिमाते दीप 
अँधेरे को मिटा के 
बिखेर दी रौशनी 
जमीं रंगीं
आसमान रोशन हो उठा 

प्रिय संदीप जी जिसने सब रोशन किया उसे नमन ....ये रौशनी जगमगाती रहे सदा सदा बाह्य और अन्तः जगत में भी ..खूबसूरत उड़ान आप की ..भ्रमर ५ 

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 6, 2012 at 7:22pm

रात आई
काली चुनरी ओढ़ के
नीले व्योम को ढँक लिया
घुप्प अँधेरा,

किसी ने ये क्या किया
झिलमिल कर जगमगा उठे
अनगिनत टिमटिमाते दीप
अँधेरे को मिटा के
बिखेर दी रौशनी

सुन्दर रचना ...कहाँ से आया ये प्रकास ?यही है जो पुरे संसार को प्रकाशित कर रहा है  नायाब

.खुसफुसाती..शब्द के जगह (फुसफुसाती )होना चाहिए शायद

Comment by Rekha Joshi on July 6, 2012 at 6:16pm

संदीप जी ,

बहुत खूब ,बहुत सुंदर ,तमस से उजाले की ओर ले जाते दीप दान ,बधाई 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 6, 2012 at 5:54pm

ये कौन है
जिसने किया है
आकाशगंगा पर "दीपदान"
आखिर कौन है ????

सम्मान्य संदीप जी, बहुत खूबसूरत चित्रण निशा का, खामोशी में सुनाई देती हवा की सरसराहट का........फिर दीपदान... बहुत बहुत सुन्दर.
हार्दिक बधाई इस रचना पर. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service