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हर खुशी मिल गई मेरे दिल की...

बढ़ गई तिश्नगी मेरे दिल की,
आग सी जल गई मेरे दिल की।

वस्ल में कशमकश जगा बैठी,
धड़कनें खौलती मेरे दिल की।

फासले थे तो पुरसुकूँ दिल था,
साँस मिल के रुकी मेरे दिल की।

उसकी पलकें हया से हैं झिलमिल,
जूँ ही क़ुरबत मिली मेरे दिल की।

कँपकपाते लबों पे नाम आया,
फाख्ता है गली मेरे दिल की।

अब हमें रोकना है नामुमकिन,
धड़कनें कह रही मेरे दिल की।

फासले कुरबतों में यूं बदले,
मिल गई हर खुशी मेरे दिल की।

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Comment

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Comment by इमरान खान on December 23, 2011 at 1:19pm

आपका बहुत बहुत धन्यवाद् @अरुण कुमार जी...
शुक्रिया @कविता वर्मा जी..

Comment by Abhinav Arun on December 23, 2011 at 9:04am

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बधाई ये शेर ख़ास रहा -

कँपकपाते लबों पे नाम आया,
फाख्ता है गली मेरे दिल की।
शुभकामनाएं  !!

Comment by Kavita Verma on December 20, 2011 at 9:13pm

khoobsurat..

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