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नव उत्सव

हमारे आँगन आना |
खुशियों की गमक को 
चेहरे की चमक को 
विस्तार दे जाना |
उमंगों के मेलों को 
चाहत के रेलों को
तुम साथ लाना |
अमावस की रात को 
दीयों की पांत को 
नया आलोक दे जाना |
पटाखों की लड़ियों को 
बच्चों की फुलझडियों को 
नव उल्लास दे जाना |
हल जोतते भोला को 
खड़ी फसलों को 
नयी मुस्कान दे जाना |
पडौस की बूढ़ी काकी की
अन्दर धंसी आँखों को 
बेटों की चाहत की 
एक झलक दे जाना  |
मोहिनी चोरडिया
 चेन्नई 

 

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Comment by siyasachdev on October 8, 2011 at 11:47am

हमारे आँगन आना |
खुशियों की गमक को 
चेहरे की चमक को 
विस्तार दे जाना |
उमंगों के मेलों को 
चाहत के रेलों को
तुम साथ लाना |
अमावस की रात को 
दीयों की पांत को 
नया आलोक दे जाना |.....khoobsurat shabdo se rachi hui pyari di rachna ke liye aapko bahut bahut badhayi...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2011 at 6:11pm

खुबसूरत भाव को सम्माहित किये, सुंदर रचना, ईश्वर सभी को खुशियाँ प्रदान करे, बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

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