For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kavita Verma's Blog (6)

आस्था या अनास्था

जब से खबर आयी है माँ का चित्त स्थिर नहीं है तीन दिन तो बड़ी बैचेनी में गुजरे। बार बार दरवाजे तक जाती अकेली खड़ी सूनी सड़क को घंटों तकती रहती फोन की घंटी पर दौड़ पड़ती तो कभी कभी यूँ ही फोन को घूरती रहती कभी बिना घंटी बजे ही फोन उठा कर कान से लगा लेती देखने के लिए की कहीं फोन बंद तो नहीं है .देवघर में दीपक तो पहली खबर के साथ ही लगा दिया था बार बार जा कर उसमे तेल भरती जलती हुई बाती को उँगलियों से ठीक करती और दोनों हाथ जोड़ कर सर तक ले…

Continue

Added by Kavita Verma on July 10, 2013 at 2:00pm — 5 Comments

पागल

हाथ में पत्थर उठाये वह पगली अचानक गाड़ी के सामने आ गयी तो डर के मारे मेरी चीख निकल गयी. बिखरे बाल, फटे कपडे, आँखों में एक अजीब सी क्रूरता पत्थर लिए हाथ ऊपर ही रह गया.लेकिन जाने क्यों वह ठिठक गयी पत्थर फेंका नहीं उसने .गाड़ी जब उसके बगल से गुजरी खिड़की के बहुत पास से उसके चेहरे को देखा.अब वहां एक अजीब सा सूनापन था.
कार के दूसरी ओर से एक ट्रक निकल गया. वह कार के पीछे की ओर भागी और ट्रक पर पत्थर फेंक दिया.आसपास दुकानों पर खड़े लड़के हंस रहे थे.वह पगली थी घोषित…
Continue

Added by Kavita Verma on July 7, 2013 at 2:24pm — 7 Comments

सुविधा

सुविधा 
बेटा तुम्हारी माँ की तबियत ठीक नहीं है तुम्हे देखना चाहती है .पिता ने फोन पर बेटे से गुजारिश सी की।
हाँ पापा मुझे भी माँ को देखने आना है अगले हफ्ते दो छुट्टी हैं उसमे आने की सोच रहा था लेकिन रिजर्वेशन नहीं मिल रहा है।बेटे ने अपनी मजबूरी…
Continue

Added by Kavita Verma on May 9, 2013 at 1:02pm — 9 Comments

लघु कथा : ऑनर किलिंग

बेटी के शव को पथराई आँखों से देखते रहे वह.बेटी के सिर पर किसी का हाथ देख चौंक कर नज़रें उठाई तो देखा वह था. लोगों में खुसुर पुसुर शुरू हो गयी कुछ मुठ्ठियाँ भींचने लगीं इसकी यहाँ आने की हिम्मत कैसे हुई. ये देख कर वह कुछ सतर्क हुए आगे बढ़ते लोगों को हाथ के इशारे से रोका और उठ खड़े हुए. वह चुपचाप एक किनारे हो गया.

तभी अचानक उन्हें कुछ याद आया और वह अन्दर कमरे में चले गए. बेटी की मुस्कुराती तस्वीर को देखते दराज़ से वह…

Continue

Added by Kavita Verma on April 18, 2013 at 12:00am — 15 Comments

हिस्सा

माथुर साहब बड़े सुलझे हुए आदमी है ।जीवन की संध्या में वे आगे की सोच रखते हैं । इसलिए उन्होंने उनके बाद उनके मकान के बंटवारे के लिए अपने दोनों बेटों और बेटी को बुला कर बात करने की सोची ताकि उनके दिल में क्या है ये जान सकें । 
 
बेटों ने सुनते ही कहा पापा आप जो भी निर्णय करेंगे हमें मंजूर होगा । लेकिन बेटी ने सुनते ही कहा हाँ पापा मुझे इस मकान में हिस्सा चाहिए ।माथुर साहब और उनके दोनों बेटे चौंक गए । माथुर साहब की बेटी की शादी बहुत बड़े…
Continue

Added by Kavita Verma on April 15, 2013 at 9:00pm — 8 Comments

साथ

साथ क्या है ?

एक भ्रम के सिवाय

एक भुलावा रिश्तों का

झूठा दिलासा अपनों का

क्या सच में कोई होता है साथ ?

आखिर को झेलने होते हैं

दुःख अकेले

उठानी होती है पीड़ा

टीसों की

जज्ब करना होता है दर्द

खुद ही

साथ चलते अपने

साथ चलते रिश्ते

कब तक कितने साथ होते हैं?

अकेला पैदा हुआ इंसान

ताउम्र होता है अकेला

उसकी ख़ुशी ,दुःख

भी नहीं होते सिर्फ उसके

जुड़े होते हैं वे भी दूसरों से

और उनकी मर्जी…

Continue

Added by Kavita Verma on April 9, 2013 at 8:01pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service