For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – November 2014 Archive (6)

लम्हा महकता …

लम्हा महकता … एक रचना

सोया करते थे कभी जो रख के सर मेरे शानों पर

गिरा दिया क्यों आज पर्दा  घर के रोशनदानों पर

तपती राहों पर चले थे जो बन के हमसाया कभी

जाने कहाँ वो खो गए ढलती साँझ के दालानों पर

होती न थी रुखसत कभी जिस नज़र से ये नज़र

लगा के मेहंदी सज गए वो   गैरों के गुलदानों पर

कैसा मैख़ाना था यारो हम रिन्द जिसके बन गए

छोड़ आये हम निशाँ जिस मैखाने के पैमानों पर

देख कर दीवानगी हमारी  कायनात  भी  हैरान है

किसको तकते हैं भला हम  तन्हा…

Continue

Added by Sushil Sarna on November 18, 2014 at 2:37pm — 14 Comments

स्नेह रस से भर देना …..

स्नेह रस से भर देना …..

कुछ भी तो नहीं बदला

सब कुछ वैसा ही है

जैसा तुम छोड़ गए थे

हाँ, सच कहती हूँ

देखो

वही मेघ हैं

वही अम्बर है

वही हरित धरा है

बस

उस मूक शिला के अवगुण्ठन में

कुछ मधु-क्षण उदास हैं

शायद एक अंतराल के बाद

वो प्रणय पल

शिला में खो जायेंगे

तुम्हें न पाकर

अधरों पर प्रेमाभिव्यक्ति के स्वर भी

अवकुंचित होकर शिला हो जायेंगे

लेकिन पाषाण हृदय पर

कहाँ इन बातों का असर होता है

घाव कहीं भी हो…

Continue

Added by Sushil Sarna on November 17, 2014 at 6:49pm — 8 Comments

परिचय हुआ जब दर्पण से

परिचय  हुआ  जब  दर्पण से ….

परिचय  हुआ  जब  दर्पण  से

तो  चंचल  दृग  शरमाने  लगे

अधरों  में   कंपन  होने  लगी

अंगड़ाई के मौसम .छाने लगे

परिचय  हुआ  जब  दर्पण से ….

ऊषा   की   लाली  गालों   पर

प्रणयकाल    दर्शाने      लगी

पलकों को  अंजन  भाने लगा

भ्रमर   आसक्ति  दर्शाने  लगे

परिचय  हुआ  जब  दर्पण से …

पलकों के  पनघट  पर   अक्सर

कुछ  स्वप्न  अंजाने  आने लगे

बेमतलब    नभ   के   तारों  से…

Continue

Added by Sushil Sarna on November 11, 2014 at 1:30pm — 8 Comments

नैन कटीले …

नैन कटीले …

नैन कटीले होठ रसीले
बाला ज्यों मधुशाला
कुंतल करें किलोल कपोल पर
लज्जित प्याले की हाला
अवगुंठन में गौर वर्ण से
तृषा चैन न पाये
चंचल पायल की रुनझुन से मन
भ्रमर हुआ मतवाला
प्रणय स्वरों की मौन अभिव्यक्ति
एकांत में करे उजाला
मधु पलों में नैन समर्पण
करें प्रेम श्रृंगार निराला

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on November 6, 2014 at 6:18pm — 26 Comments

तन्हा प्याला .....

तन्हा प्याला  ....

रजकण हूँ मैं प्रणय पंथ का
स्वप्न लोक का बंजारा
हार के भी वो जीती मुझसे
मैं जीत के हरदम ही हारा
नयन सिंधु में छवि है उसकी
वो तृषित मन की मधुशाला
प्रणयपाश एकांत पलों का
मन में जीवित ज्यूँ हाला
गीत कंठ के सूने उस बिन
रैन चांदनी बनी ज्वाला
नयन देहरी पर सजूँ मैं उसकी
हृदय में है ये अभिलाषा
अपने रक्तभ अधरों की मधु बूँद से
जो भर दे मेरा तन्हा प्याला 

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on November 4, 2014 at 6:52pm — 16 Comments

क्षणिकाएँ...

क्षणिकाएँ...

1.घन गरजे घनघोर

तिमिर चहुँ ओर

तृण-तृण से तन बहे

करके सब कुछ शांत

मेह हो गया शांत

..........................

2. सावन की फुहार

सृजन की मनुहार

रंगों का अम्बार

आयी बहार

हुआ धरा का

पुष्पों से शृंगार

.......................

3.बुझ गयी

कुछ क्षण जल कर

माचिस की तीली सी

जंग लड़ती साँसों से

असहाय ये काया

.........................

4.हर शाख पर

शूल ही शूल

फिर भी महके…

Continue

Added by Sushil Sarna on November 1, 2014 at 1:15pm — 18 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service