उठे सरस मृदु गंध, महकता यौवन तेरा।
देख जिसे दिन रात ,डोलता है मन मेरा।
अधर मधुर मुस्कान, छलकती मय की प्याली।
चुभती बनकर शूल, चमकती तेरी बाली।
क्षण भर भी तुमसे दूर, नहीं अब रह पाऊँगा।
न तुम ऐसे शरमाओ, कसम से मर जाऊँगा।
गोरे गोरे गाल, दामिनी द्युति सम चमकें।
हृदय लगाती आग, अधखुली तेरी पलकें।
चंचल तेरा रूप, केश हैं उस पर उलझे।
करे ठिठोली आज, नहीं अब तुमसे सुलझे।
तेरे नैनों का वार, नहीं अब सह पाऊँगा।
न तुम ऐसे शरमाओ, कसम से मर…
Added by विमल शर्मा 'विमल' on December 11, 2019 at 6:00pm — 4 Comments
प्रेम हम तुम पर लुटाने आ गये।
आज फिर देखो सताने आ गये।
चूम अधरों को तुम्हारे अब प्रिये,
लालिमा इनकी बढ़ाने आ गये।
लाज से हैं झुक रहे तेरे नयन,
आज हम इनको लुभाने आ गये।
देख यौवन की छटा मधुरिम शुभे,
प्रेम रस में हम डुबाने आ गये।
छूटता है जो नहीं प्रिय उम्र भर,
रंग हम ऐसा लगाने आ गये।
रूप से छलके सुरा जो मद भरी,
आज हम पीने पिलाने आ गये।
-विमल शर्मा 'विमल'
स्वरचित एवं अप्रकाशित
Added by विमल शर्मा 'विमल' on October 28, 2019 at 11:00am — 4 Comments
Added by विमल शर्मा 'विमल' on October 16, 2019 at 12:59pm — 7 Comments
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