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Dr. Vijai Shanker's Blog (202)

.जिंदगी तुझे ही पढ़ लेते हैं ---डा० विजय शंकर

चलो किताबों को बंद कर देते हैं

जिंदगी तुझे ही सीधे-सीधे पढ़ लेते हैं .

किताबों में सबकुझ तेरे बारे में ही तो है

लो , तुझसे ही सीधे-सीधे बात कर लेते हैं.

किताबें तो बहुत सी हैं , मिल भी जायेंगीं

उन को पढ़ लूँ तो क्या तू मिल जायेगी .

मौत को कितने और कौन-कौन पढ़ते हैं

पर उसका वादा है , सबको मिलती है .

भरोसा नहीं , तू किसको मिले , कितनी मिले

तेरे लिये , तेरे चाहने वाले दिन रात लगे रहते हैं .

अरे सब कुछ तो तेरे लिए ही है जिंदगी में

तू है तो सब… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 11, 2014 at 10:25am — 17 Comments

बात जब भी शहर में -- ..डा० विजय शंकर

बात जब भी शहर में

अंधेरा मिटाने की होती है ,

तेरे घर की रौशनी कुछ

और बढ़ा दी जाती है |

बात जब भी मजबूर

सताये लोगो को

न्याय दिलाने की होती है

तुझे एक नयी जमानत

और दिला दी जाती है |्

तेरे हर जुल्म हर गुनाह के साथ ,

तेरी शोहरत बढ़ाई जाती है ,

तेरे सताये गुमनाम अंधेरों में ,

सिमट जाते हैं , और

चकाचौंध रौशनी कर तेरे

चेहरे की रौनक बढ़ाई जाती है |

तेरी मौज , तेरी तफरीह में जो

मिट गये , उन्हें कफन भी नहीं मिला ,

तेरे… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 10, 2014 at 10:57am — 11 Comments

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