For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत नेमा's Blog (27)

हम को भी दे दो वो अधिकार थोडा थोडा

करने लगे है वो भी हमपे ऐतबार थोडा थोडा ।

उनको भी हो गया है हमसे प्यार थोडा थोडा ॥ 

रहते थे जो परदो मे छुप छुप के कल तलक ।

अब होने लगा है उनका भी दीदार थोडा थोडा ॥

कहते थे वो इश्क विश्क बाते है फिजूल की ।

चढने लगा है उनपे भी ये खुमार थोडा थोडा ॥

उडी है नीँद रातो की करार छिन गया दिन का ।

अब रहने लगे है वो भी बेकरार थोडा थोडा ॥

है हक चुमना भंबरो का फूलो को बेधडक ।

हम को भी दे दो वो अधिकार थोडा…

Continue

Added by बसंत नेमा on April 28, 2014 at 10:00pm — 2 Comments

हर शख्स यहाँ का शौकीन बडा है

मिजाज मेरे शहर का रंगीन बडा है ।

हर मौसम यहाँ का बेहतरीन बडा है ।।

आंखो मे सुरमा मुहँ मे पान रचा है ।

हर शख्स यहाँ का शौकीन बडा है ।1।

शोखिया अदाये वो इठलाती जबानी ।

यहाँ हुस्नो शबाब नाजनीन बडा है ।2।

है झील का किनारा वो लहरो की मस्ती ।

हर नजारा यहाँ दिल नशीन बडा है ।3।

हरसू है बस प्यार मोहब्बत की बाते ।

नफरत  यहाँ जुर्म संगीन बडा है ।4।  

हो इक शहर ऐसा भी इस जहाँ मे कही…

Continue

Added by बसंत नेमा on February 24, 2014 at 12:30pm — 6 Comments

सूरज को पिघलते देखा है

सूरज को पिघलते देखा है

वक्त के साथ रिश्तो को बदलते देखा है ।

दौलत के लिये अपनो को लडते देखा है ॥

लिये आग चढा था जो सुबह आसँमा पे

शाम उस सूरज को पिघलते देखा है ।।

तैरा था जो लहरो के विपरीत हरदम ।

साहिल पे उस जहाज को डूबते देखा है ।।

हुआ करती थी जहाँ संस्कारो की बाते ।

हाँ आज मैने उन घरो को टूटते देखा है  ॥

बैठा था कल तक जो किस्मत के भरोसे

उस  शख्स को  आज  हाथ मलते…

Continue

Added by बसंत नेमा on December 19, 2013 at 11:30am — 15 Comments

जिन्दगी जिन्दगी जिन्दगी । गजल (प्रथम प्रयास )

मुतदारिक मुसद्दस सालिम

212 /212/ 212

जिन्दगी  जिन्दगी  जिन्दगी ।

बन्दगी तिश्नगी आशिकी ॥

जिन्दगी जिन्दगी जिन्दगी ।…

Continue

Added by बसंत नेमा on October 1, 2013 at 4:30pm — 16 Comments

मरा कौन ?

मरा कौन ?

कही पे हिन्दू मरता है ।

कही मुसलमान मरता है ।।  

चले जब तलवार नफरत की ।

तो बस इंसान मरता है ॥

 

कही पर घर जलता है ।  

कही मकान जलता है ॥  

मगर इन लपटो से मेरा ।

प्यारा हिन्दुस्तान जलता है ॥

 

न कुछ हासिल तुम्हे होगा ।

न कुछ मेरा भला होगा ।

दरख्तो पे जो बैठे है ।

बस गिद्धो का भला होगा ॥

 

कही मन्दिर पे है पाँबन्दी ।

कही मस्जिद पे पहरा है…

Continue

Added by बसंत नेमा on September 13, 2013 at 12:00pm — 19 Comments

!! आओ बैठे बात करे !!

!! आओ बैठे बात करे !!

 

कुछ तुम्हारे कुछ हमारे  आओ बँया जज्बात करे । 

आओ बैठे बात करे,  आओ बैठे बात करे ।

गुजर गये जो लम्हे प्यारे, आओ उनको याद करे ।

आओ बैठे बात करे,  आओ बैठे बात करे ।

 

क्या याद है  वो माली काका, जिसके  आम चुराया करते थे ।

क्या याद है  वो अब्बू चाचा, जिसकी भेड छुपाया करते थे ।

क्या याद है…

Continue

Added by बसंत नेमा on September 10, 2013 at 12:30pm — 17 Comments

संत लीला ( छ्न्द का प्रथम प्रयास )

संत लीला

******************

वेद पुराण वाचते करते गीता पाठ ।

बाबाजी के देखिये शाही ठाठ बाठ । 

शाही ठाठवाठ मे, कोई कमी न आये  ।

वैरागी बन के बाबा, दौलत खूब कमाये । 1।

 

चार बार चन्दन घिसे, छिडके गंगा नीर ।

देख के नारी मोहनी, बाबा भये अधीर ।

बाबा भये अधीर के, भूले दुनियादारी ।

मोहमाया के…

Continue

Added by बसंत नेमा on September 4, 2013 at 11:00am — 17 Comments

आप जब से मेरी जिन्दगी हो गई ।

आप जब से मेरी जिन्दगी हो गई ।

 

आप जब से मेरी जिन्दगी हो गई ।

सारी दुनिया से मेरी दुश्मनी हो गयी ॥

आप को जो हमराज मै कह गया ।

तो दोस्तो से मेरी दुश्मनी हो गयी ॥  1 ॥

 

नूर चेहरे का तेरे चाँदनी दे गया ।

देख कर चाँद भी तुझको शरमा गया ।

जो चाँद पूनम का मै तुम्हे कह गया ।

तो चाँद से भी मेरी दुशमनी हो गयी  ॥   2…

Continue

Added by बसंत नेमा on August 6, 2013 at 11:30am — 33 Comments

महिमा पैसो की

महिमा पैसो की

******************************

पर पैसो के मैने तो देखे नही ।

फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥

पकडते है दोनो हाथो से सभी ।

पर पकड मे किसी के वो आता नही ॥......... फिर क्यू वो कही पे ठहरता नही ॥…

Continue

Added by बसंत नेमा on July 31, 2013 at 3:30pm — 2 Comments

काश !

काश! 

आरजू मै करु मिलने की, और वो रुबरु हो जाये ।

काश ! मेरी मोहब्बत की, ऐसी तासीर हो जाये ।।

न शिकवा ना शिकायत हो कोई भी खुदा से ।

काश!  ऐसा हर कोई खुश नसीब हो जाये…

Continue

Added by बसंत नेमा on July 26, 2013 at 2:00pm — 9 Comments

दोहे ( प्रथम प्रयास )

दोहे ( प्रथम प्रयास ) 

दर दर भटके पूजता, तू महंत फकीर ।

चरण छुये माँ-बाप के, बनती है तकदीर ॥ 1 ॥

प्यासे को पानी मिले, भूखा जाये जीम ।

ऐसे घर मे लक्ष्मी, कृपा करे आसीम ॥ 2 ॥

जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए ।

जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥

छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।

जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥

बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान…

Continue

Added by बसंत नेमा on July 24, 2013 at 11:30am — 19 Comments

!! वो कौन था !!

!! वो कौन था !!

 

आये तो कई लोग, ज़िन्दगी मे मेरी मगर ।

वो कौन था जो सीधे, दिल मे समा गया ।।…

Continue

Added by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 10:00am — 20 Comments

!! मेरी लाडो !! एक प्रयास शक्ति को जगाने का

!! मेरी लाडो !!

 “ मेरी लाडो ” समर्पित है उन तमाम बहन बेटियो को जो किसी न किसी हादसो के कारण से अपने वजूद अपने अस्तिव को भुला चुकी है या फिर हार मानके अपनी किस्मत को दोष दे रही है । ये एक प्रयास है…

Continue

Added by बसंत नेमा on June 25, 2013 at 2:30pm — 18 Comments

!! भजन !!

!! भजन !!

जब चारो ओर अन्धेरा हो ।…

Continue

Added by बसंत नेमा on June 14, 2013 at 1:16pm — 10 Comments

!! ये यादे !!

!! ये यादे !!  

कभी होठो पे हँसी लाती है ये यादे ।

कभी आंखो मे नमी लाती है ये यादे ।।

कभी माशूक कभी मासूम सी होती है ये यादे ।…

Continue

Added by बसंत नेमा on June 12, 2013 at 1:00pm — 9 Comments

॥ मेरा साथ निभाना तुम ॥ (श्रंगार रस का पहला प्रयास )

 

॥ मेरा साथ निभाना तुम ॥

मै बसंत हूँ , मेरी बहार बन जाना तुम ।

मै सूरज बनूँ तुम्हारा, मेरी किरण बन जाना तुम । …

Continue

Added by बसंत नेमा on May 6, 2013 at 12:30pm — 9 Comments

एक अजन्मा दर्द

॥ एक अजन्मा दर्द ॥

माँ मुझको भी जीवन दे दे, मै भी जीना चाहती हू ।

सखी सहेली वीरा के संग, मै…

Continue

Added by बसंत नेमा on April 29, 2013 at 12:00pm — 9 Comments

मै बरगद का पेड

|| मै बरगद का पेड ||

मै बरगद का पेड सयाना, चिरस्थिर खडा था आँगन मे ।

कितने मौसम आते जाते, देखे है मैने जीवन मे ।

सदीया बीती नदिया रीति, वो गाँवो का शहर बन जाना  ।

अब मै डरा सहमा सा खडा हुआ हू, इन  कंक्रीटो के वन मे

वो बडॆ प्यार से अम्मा बाबा का, मुझे धरा मे रोपना ।

वो खुद के बच्चो जैसा मेरा, लाड प्यार से पाल पोसना ।

वो पकड के मेरी बाहो को, मुन्ना मुनिया का झुला झुलना

वो चढ के मेरे कंधो पर, कटी…

Continue

Added by बसंत नेमा on April 25, 2013 at 12:30pm — 11 Comments

गरमी आ गई भाईया

 गरमी आ गई भाईया

सूरज आंखे तरेर रहा ले, हाथो मे अग्नि बाण ।

बिना कवच जो निकले बाहर, ये…

Continue

Added by बसंत नेमा on April 17, 2013 at 2:00pm — 6 Comments

जिन्दगी का जबाब

जिन्दगी का जबाब

कल राह मे जिन्दगी से मुलाकात हो गयी ।

पूछा जो एक सवाल* तो जिन्दगी नाराज हो गयी।   

बोली देता है मुझको दोष, बता तुने क्या अच्छा किया है…

Continue

Added by बसंत नेमा on April 15, 2013 at 10:30am — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
7 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service