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NEERAJ KHARE's Blog – December 2013 Archive (3)

दो कवितायेँ

(1)

आयो मेरे पास आयो

.

देश मेरा उजड़ रहा है

आओ मेरे पास आओ

कितने ही दुख भोग रहा है

आओ मेरे पास आओ

एक तरफ चाकू है चलता

दूसरी तरफ नरसंहार है

आतंकवाद है उससे ऊपर

सबसे ऊपर बलात्कार है

कितनों के दिल तोड़े इसने

घर कितनो के उजाड़े हैं

आँख के तारे छीने इसने

माँग के सिंदूर उजाड़े हैं

पाप की नगरी से डर लगता

आकर मुझको गले लगाओ

तुमसे बिछड़ न जाऊँ कहीं मैं

 आयो मेरे पास…

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Added by NEERAJ KHARE on December 19, 2013 at 9:00pm — 7 Comments

प्यार अमर कर जाएगें (गीत)

खाकर इक दूजे की कसम

हम प्यार अमर कर जाएँगे

कोई रोक सके तो रोक ले हमको

हम न जुदा हो पाएँगे

हम बगिया के फूल नहीं

जो हमको कोई ऊज़ाडेगा

हम ने की नही भूल कोई

जो हम को कोई सुधारेगा

लैला मजनूं के बाद अब हम

इतिहास में नाम लिखाएगें

कोई रोक........................

पतझड़ सावन बसंत बहार

ऋीतुएँ होती हैं ये चार

एक भी मौसम नही है ऐसा

जिसमें हम कर सकें न प्यार

बुरी नज़र जो डालेगा उसका

मुह काला कर…

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Added by NEERAJ KHARE on December 17, 2013 at 7:32pm — 4 Comments

श्रद्धा

रिटायरमेंट के छह महीने बाद कैंसर से पीड़ित बाबूजी के देहांत होने पर परिवार के सभी लोग दुखी थे. किंतु सबसे ज़्यादा दुखी उनका बेटा माखन था, रो रोकर उसका बुरा हाल था इसलिए नही कि उसका बाप मर गया था बल्कि वो यह सोच रहा था कि जब मरना ही था तो नौकरी मे रहते क्यूँ न मरे उसे उनकी जगह नौकरी मिल जाती; उसकी जिंदगी संवर जाती वर्ना लम्बा जीते ताकि उनकी पेंशन से उसका परिवार पल बढ़ जाता.तभी अचानक पड़ोसी ने पूछा दाह संस्कार किस रीति रिवाज़ से करेंगे. माखन अपने मरे बाप का कम से कम पैसे में अंतिम संस्कार करना…

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Added by NEERAJ KHARE on December 16, 2013 at 7:00pm — 11 Comments

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