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गिरिराज भंडारी's Blog – October 2013 Archive (10)

बलाये आसमानी में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

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कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में

मुदावा मेरी…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 7:30am — 41 Comments

जो भी है आपका करम है सब ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

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ज़र्फ़ अंदर न पास है दिल में

आ गया हूँ ,अदब की महफ़िल में

वक़्त रद्दे अमल का आया तो 

तुम रहम खोजते  हो क़ातिल में

कुछ तड़प , दर्द और बेचैनी

और क्या खोजते हो…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 24, 2013 at 7:00pm — 37 Comments

क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो ( गीत ) गिरिराज भंडारी

       क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 …

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Added by गिरिराज भंडारी on October 22, 2013 at 8:00am — 38 Comments

देख तो ले तिलमिला कर ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122         2122

खुश हुआ खुद को भुला कर

या कहूँ मै तुझको पा कर

खुद को भी मै ने सताया 

दोस्ती को आजमा कर

ज़िंदगी का बोझ सर पे

चल रहा हूँ लड़खड़ा कर…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 16, 2013 at 8:30am — 32 Comments

बोलो किसको राम कहूँ मै ( गीत ) गिरिराज भंडारी

बोलो किसको राम कहूँ मै

*********************

सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !

 

धृतराष्ट्र से मोह मे अन्धे

अपना अपना बचा रहे है

चौक चौक मे दुर्योधन बन

चौसर द्युत सा…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 12, 2013 at 9:30pm — 38 Comments

" एक इशारा अधूरा सा "-- अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

एक इशारा अधूरा सा

********************

छू कर

पहन कर

चख कर

देख लेते हैं

कभी खरीदते हैं

कभी यूँ ही लौट आते हैं

सब…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 8, 2013 at 8:30pm — 30 Comments

मोतबर चुप है ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     1212    22  

       

जुल्म को देख रहगुज़र चुप है

गाँव सारा नगर नगर चुप है

खामुशी चुप ज़ुबां ज़ुबां है  चुप

दश्त चुप है शज़र शज़र चुप है

दोस्त चुप चाप दुश्मनी भी…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 8:00am — 39 Comments

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"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
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