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Ram shiromani pathak's Blog – October 2013 Archive (4)

क्षणिकाएं*********

१-सुकून

सुनों

आज के बाद तंग नहीं करूँगा

चला जाऊँगा

बस एक बार क्षण-भर

आओ बैठो मेरे पास

तुम्हारे आने से

जिंदा हो उठता हूँ



२-अकेला

दुख के सन्नाटे से

लड़ रहा हूँ

तभी तो

आज फिर अकेला हूँ

३-मंत्री भूखानंदजी

करोड़ों का माल गटक गए

सुना है आज फिर

भूख हड़ताल पे बैठे है

४-साथ

मै तो ग़मों का रेगिस्तान था

वो तो तुम्हारे आने से सादाब हो…

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Added by ram shiromani pathak on October 28, 2013 at 8:00pm — 24 Comments

दोहे -७ (खिचड़ी)

लोभ कपट को त्यागकर ,रखो परस्पर नेह !

शुद्ध विचारों से करो ,शीतल अपनी देह !!१

याचक भी राजा बना ,राजा मांगे भीख !

काल चक्र से भी तनिक ,ले लो भाई सीख !!२

इतना तुम क्यूँ रो रहे ,भाई घोंचू लाल !

किसने पीटा आपको ,गाल दिखे हैं लाल!!३

अधर तुम्हारे पुष्प से ,मेरे प्यासे नैन !

जिस दिन तुम दिखती नहीं ,रहता हूँ बेचैन !!४

उन्हें देख जलने लगा ,मन का बुझा चिराग !

शनै: शनै: अब फैलती ,पूरे तन में आग…

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Added by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 6:51pm — 24 Comments

क्षणिकाएं(राम शिरोमणि पाठक)

१-मीठा ज़हर

आज फिर खाली हाथ लौटा घर को

मायूसी का जंगल उग आया है

चारों तरफ

फिर भी मै

हँस के पी जाता हूँ दर्द का मीठा ज़हर

२- एहसान

एक एहसान कर दो

जाते जाते

समेट कर ले जाओ अपनी यादें ।

आज जी भर कर सोना है मुझे

३-महान

सम्मान बेचकर भी

ह्रदय अब तक स्पंदित है

आप महान हो

४-तकिया

अब बहुत अच्छी नींद आती है मुझे

पता है क्यूँ?…

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Added by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 4:30pm — 32 Comments

दोहा -६ (आस -पास)

गाँव बसे कैसे भला ,करते बंदरबांट !

कम्बल तो देते मगर ,लूट लिये सब खाट !!१

हंस देखता रह गया ,बगुले के सर ताज !

गीदड़ अब राजा बना ,गीदड़ सिंह समाज !!२

आदि अंत सब हैं वही ,उनका ही संसार !

वो मिटटी के तन गढ़े ,कितने कुशल कुम्हार !!३

धन की चंचल चाल का ,फैला है भ्रमजाल !

जो पाते वो भी विकल ,बिन पाए बेहाल !!४

पर पीड़ा दिखती नहीं, ऐसे कैसे लोग!

दीमक जैसा खा रहा ,लालच नामक रोग !!५…

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Added by ram shiromani pathak on October 1, 2013 at 8:30pm — 21 Comments

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