प्रेम हम तुम पर लुटाने आ गये।
आज फिर देखो सताने आ गये।
चूम अधरों को तुम्हारे अब प्रिये,
लालिमा इनकी बढ़ाने आ गये।
लाज से हैं झुक रहे तेरे नयन,
आज हम इनको लुभाने आ गये।
देख यौवन की छटा मधुरिम शुभे,
प्रेम रस में हम डुबाने आ गये।
छूटता है जो नहीं प्रिय उम्र भर,
रंग हम ऐसा लगाने आ गये।
रूप से छलके सुरा जो मद भरी,
आज हम पीने पिलाने आ गये।
-विमल शर्मा 'विमल'
स्वरचित एवं अप्रकाशित
Added by विमल शर्मा 'विमल' on October 28, 2019 at 11:00am — 4 Comments
Added by विमल शर्मा 'विमल' on October 16, 2019 at 12:59pm — 7 Comments
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