Added by पीयूष द्विवेदी भारत on September 29, 2012 at 10:34pm — 10 Comments
तुम कंचन हो,
मै कालिख हूँ!
तुम पारस, मै
कंकड़ इक हूँ!
तुम सरिता हो,
मै कूप रहा!
तुम रूपा, इत
ना रूप रहा!
जो मानव नहीं है उसको, देव की पांत है असंभव!
है तुलना न अपनी कोई, मिलन की बात है असंभव!
तुम ज्वाला हो,
मै…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on September 11, 2012 at 2:30pm — 58 Comments
जिसमे राष्ट्रिय मान भी हो!
दूजों के प्रति सम्मान भी हो!
अभिमान नही किंचित मन में,
पर दृढ़मय स्वाभिमान भी हो!
वाणी से केवल सत्य कहे!
जो सत्य हेतु हर कष्ट सहे!
निर्बल का जो बल बन जाए!
परदुख से जिसके नैन बहें!
उस अदृश्य को ही मैंने, मन समर्पित कर दिया है!
हाँ वही मेरी प्रिया है, हाँ वही मेरी प्रिया है!
जो अत्याचार विरोधी हो!
अन्याय-राह अवरोधी हो!
पथभ्रष्ट जनों की खातिर…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on September 1, 2012 at 7:00am — 10 Comments
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