For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Arpana Sharma's Blog – April 2017 Archive (3)

"फाॅर्मलिटी" /लघुकथा :अर्पणा शर्मा

"देखिये, मेरे फ्लैट की रजिस्ट्री की सारी रकम आपके बताए सर्विस प्रोवाइड़र के खाते में भिजवा दी गई है , आज रजिस्ट्री की आखिरी तारीख है और अभी तक  आपने मेरे पेपर तैयार नहीं किये",

 सुबह -शाम बिल्ड़र के ऑफिस के चक्कर लगा-लगा कर त्रस्त हुए जयेश ने अंततः लगभग गिड़गिड़ा कर उसके मैनेजर से कहा।



"देखिए मिस्टर जयेश रजिस्ट्री की बाकी फाॅर्मेलिटी आपने पूरी नहीं की, आप मेरे साथ को-ऑपरेट नहीं करेंगे तो कैसे चलेगा" ,

बिल्ड़र के मैनेजर ने नितांत सधे हुए और सर्वथा व्यावसायिक लहजे में जयेश को… Continue

Added by Arpana Sharma on April 26, 2017 at 5:39pm — 4 Comments

" अस्पृश्य" - लघुकथा :अर्पणा शर्मा

मालकिन ने रसोई के एक कोने में रखी थोड़ी पिचकी सी , घिसी थाली, कटोरी , ग्लास और चम्मच उठा,  उसमें खाना सजाया और खाना बनाने वाली को रसोई के बाहर एक कोने में जमीन पर बिठाकर उसके सामने थाली रख दी।



खाना बनाने वाली का आज उस घर में पहला ही दिन था। जल्दी से खाना खाकर जूठे बर्तन सिंक में रख दिये क्योंकि बर्तन मलने वाली भी आती थी।



मालकिन ने देखा तो उसे कड़क शब्दों में निर्देश मिले -

" खाना खाकर अपने बर्तन धोकर वहाँ उस कोने में रखना। दूसरे बर्तनों से छूना नहीं चाहिए… Continue

Added by Arpana Sharma on April 18, 2017 at 5:00pm — 14 Comments

"चिरनिद्रा- चिर-विश्रांति "/कविता - अर्पणा शर्मा

नदी के भँवर में घूमते पत्ते से,

जो खिंचता-जाता समाने उसमें,

जीवन है ड़ूबता- उतराता,

काल के नित गहराते भँवर में,

धवल आकाशगंगा के,

गहन काले गह्वर की मानिंद,

हमें आलिंगन में लेने को आतुर,

ओह ये मृत्यु ...!!

 

शनैः-शनैः सब समाता उसमें,

धीरे-धीरे खिंचते जारहे,

हम भी नित उसी ओर,

जन्म के साथ ही,

है शुरू होजाती,

यह गणना पलछिन,

यह माटी का पुतला ,

जीवित रहेगा ,

आखिर कितने दिन,



उलझते जीवन के व्यापार में… Continue

Added by Arpana Sharma on April 16, 2017 at 7:41pm — 11 Comments

Monthly Archives

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service