मौलिक
अप्रकाशित
मसले सुलझाने चला, आतंकी घुसपैठ ।
खटमल स्लीपर सेल बना, रेकी रेका ऐंठ ।
रेकी…
Added by रविकर on February 25, 2013 at 9:14am — 10 Comments
मौलिक
अप्रकाशित
लगा ले मीडिया अटकल, बढ़े टी आर पी चैनल ।
जरा आतंक फैलाओ, दिखाओ तो तनिक छल बल ।।
फटे बम लोग मर जाएँ, भुनायें चीख सारे दल…
ContinueAdded by रविकर on February 23, 2013 at 4:19pm — 7 Comments
मौलिक -अप्रकाशित
सत्तावन "जो-कर" रहे, जोड़ा बावन ताश ।
महल बनाया दनादन, "सदन" दहलता ख़ास ।
सदन दहलता ख़ास, किंग को नहला पंजा।
रानी दहला जैक, कसे हर रोज शिकंजा ।
धक्का इक्का खाय, हिले नहिं पाया-पत्ता ।
खड़ा ताश का महल, शक्तिशाली कुल सत्ता ।।
Added by रविकर on February 9, 2013 at 10:40am — 11 Comments
एकनिष्ठ हों कोशिशें, भाई-चारा शर्त |
भाग्योदय हो देश का, जागे आर्यावर्त |
जागे आर्यावर्त, गर्त में जाय दुश्मनी |
वह हिंसा-आमर्ष, ख़तम हों दुष्ट-अवगुनी |
संविधान ही धर्म, मर्ममय स्वर्ण-पृष्ठ हो |
हो चिंतन एकात्म, कोशिशें एकनिष्ठ हों ||
Added by रविकर on February 7, 2013 at 2:34pm — 5 Comments
मौलिक / अप्रकाशित
खरी-खरी खोटी-खरी, खरबर खबर खँगाल ।
फरी-फरी फ़रियाँय फिर, घरी-घरी घंटाल ।
घरी-घरी घंटाल, मीडिया माथा-पच्ची ।
सिद्ध होय गर स्वार्थ, दबा दे ख़बरें सच्ची ।
परमारथ का ढोंग, बे-हया देखे खबरी ।
करें शुद्ध व्यवसाय, आपदा क्यूँकर अखरी ??
Added by रविकर on February 4, 2013 at 1:25pm — 9 Comments
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