For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

neeraj sanadhya
Share on Facebook MySpace
  • Feature Blog Posts
  • Discussions
  • Events
  • Groups
  • Photos
  • Photo Albums
  • Videos

Neeraj sanadhya's Friends

  • Neeraj Nishchal
 

neeraj sanadhya's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
udaipur
Native Place
udaipur
Profession
service
About me
learning to paint with letters

क्या तुम प्रीत निभा पाओगे........................... 

पथ फूलों का हो या शूलों का ,    सुख दुःख से झुझते झूलों का

पतझड़ से  लकदक शाखों पर ,  क्या तुम फूल खिला पाओगे

क्या तुम प्रीत निभा पाओगे ....................

बंजर बंजर  है  हर लम्हा ,    खुश्क खुश्क रेत पहाड़ों सा

तपते रिश्तों की जमीनों पर , क्या तुम प्रेम उगा पाओगे

क्या तुम प्रीत निभा पाओगे..................

सूनी सूनी सी है साँसे , सुस्त सुस्त है सारा मंजर

खाली खाली आकाशों पर , क्या तुम जश्न  मना पाओगे

क्या तुम प्रीत निभा पाओगे..................

जग हार के जीता है मैंने तुमको , जग मान लिया मैंने तुमको

तुम हार के मन  की हर बाजी  ,   क्या तुम जीत दिखा पाओगे

क्या तुम प्रीत निभा पाओगे ....

रीतों की है दीवारें...रीतों के है सारे बंधन

रीतों की सख्त मीनारों से ,  क्या तुम रीत विदा पाओगे

क्या तुम प्रीत निभा पाओगे ....क्या तुम जीत लिवा  पाओगे....

                                                          ............नीरज "रमेश"    

 

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:28pm on August 11, 2013, neeraj sanadhya said…

"कविताएँ तो बिखरी हुई है फिज़ाओं में

महज़ शब्दों को सहेजने  की कोशिश है मेरी

बस अक्षरों को ईशकृपा में मिलकर

प्रसाद ले लिया करता हूँ "

                               "नीरज रमेश" 

At 8:40am on August 11, 2013, Neeraj Nishchal said…

most welcome

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service