111 members
376 members
119 members
393 members
सदियों रहा गुलाम है ये आम आदमी
कोई भी लगता नहीं अपना , तेरे जाने के बाद
हो गया ऐसा भी क्या , इक तेरे जाने के बाद १
ढूँढता रहता हूँ , हर इक सूरत में
खो गया मेरा भला क्या , इक तेरे जाने के बाद २
न महफिलें कल थी , ना है दोस्त आज भी कोई
अब मगर तन्हा बहुत हूँ , इक तेरे जाने के बाद ३
बिन बुलाए ख़ामोशी , तन्हाई , बे -परवाहपन
टिक गये हैं घर में मेरे , इक तेरे जाने के बाद ४
पूँछते हैं सब दरोदिवार मेरे , पहचान मेरी
अब तलक लौटा नहीं घर , इक तेरे जाने के बाद ५
तोड़ कर सब रख दिए मैंने ,…
Posted on August 28, 2017 at 11:46pm — 3 Comments
देख कर तुझको , निखर जाएॅगे।
हम आइना बनके , सॅवर जाएॅगे ।.
तिनका-तिनका है मेरा, पास तेरे
तुझसे बिछडे तो , बिखर जाएॅगे ।
दिल हमारा औ तुम्हारा है , इक
घर से निकले , तो भी घर जाएॅगे।
दूरियों में ही , रहे महफूज हैं हम
पास जो आये , तो डर जाएॅगे ।
वो समन्दर था , मगर भटका नहीं
हम तो दरिया हैं , किधर जाएॅगे ।
दोस्ती भीड औ धुॅये से कर ली , अब
छोडकर गाॅव अपना शहर जाएॅगे ।
सच्चे इक प्यार के मोती के लिये
हम कई समंदर में , उतर जाएॅगे…
Posted on January 8, 2016 at 12:05am — 6 Comments
चलते चल्ते जब भी हम रुक जाएँगे
तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे ................
जब छा जाएँगे रिश्तों के निपट अंधेरे
और थकन की धूल पाँव से सर तक बोलेगी
थकते थकते जब इक दिन चुक जाएँगे
तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे................
जब जब बोले हैं , बोले हैं खामोशी से हम
और प्रति-उत्तर भी पाए हैं , वैसे ही हमने
मिलते मिलते मौन कहीं जब थक जाएँगे
तेरी बाहों में हम छुप…
ContinuePosted on April 1, 2015 at 11:29pm — 7 Comments
बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर
हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी ,
ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर
सुबह से हो गयी शाम और अब रात भी
पैर हैं कि थकने का , नाम नहीं लेते , मगर
वो खरीददार है , कोई क़ीमत भी दे सकता है
अभी आया है कहाँ , वो मेरी चौखट पे , मगर
करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय"
सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर
अजय कुमार…
ContinuePosted on March 10, 2015 at 11:59pm — 9 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
Comment Wall (2 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
आदरणीय अजय जी, हौंसला-अफजाई के लिए शुक्रगुज़ार हूँ .. आपकी दाद मेरे लिए कीमती है ..
अजय जी नमस्कार ! आपको मेरी ग़ज़ल के चंद शेर पसंद आए और आपकी स्नेह भरी प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। आपका बहुत बहुत शुक्रिया।