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medico
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अहसास

अजब मंजर था वो..

अथाह सागर,हाथ हिलाते साहिल पर खड़े कुछ अपने

आँखों में बिछोह का दर्द लिये,

और एक चोटी सी कश्ती पर स्वआर वो

ह्रदय पीड़ा युक्त रोरो धाराओं की हलचल से व्याप्त



आँखे अश्रु रोकने के असमंजस में

धीरे धीरे दूर होती कश्ती देख

मुड़ने लगे वे सब अपने



अचानक आया सागर में तूफ़ान

कश्ती लगी डगमगाने

उसे अहसास हुआ जब तक

फिर भी पुकारा उसने उन अपनों को

पर उसकी आवाज़ लहरों से टकराकर लौट आई

"एक हाथ भी आगे न आया ज़िन्दगी… Continue

Posted on June 30, 2016 at 2:51pm — 1 Comment

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At 11:28pm on June 25, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

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 ग़ज़ल की बातें 

 

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