For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रवाह ...मेरी शब्द यात्रा

प्रवाह याने बहाव, जो एक निरंतरता का सूचक है.प्रवाह किसी भी बात के लिए हो सकता है चाहे वो विचारों के लिए हो या फिर पानी का, या फिर जीवन धारा का. - उसके मूल में है सिर्फ चलते रहना, ठीक मानव जीवन की तरह-

 

एक शब्द है जीवन धारा- जो यही दर्शाता है की इन्सान का जीवन चलते रहने का नाम है यदि ये निरंतरता खंडित होती है तो या तो मानव जीवन समाप्त हो गया है या हमारे जीवन में एक जड़ता आ गई है .


जीवन में प्रवाह आवश्यक है यदि ये रुक जाये तो अपना महत्व खो देता है और व्यक्ति को अपने इर्द-गिर्द सब कुछ जड़ लगें लगता है और उसे अपने जीवन के प्रति एक उदासीनता का भाव आ जाता है, उसे अपना जीवन अर्थहीन लगने लगता है, बहुधा ये तभी होता है जब हम अपने प्रयासों में निरंतरता याने प्रवाह नहीं रखते और थोड़े प्रयासों से ही बहुत कुछ की चाहत करने लगते हैं, एक और स्थिति  में भी हमारे जीवन का प्रवाह रुक जाता है जब हम भावनात्मक रूप से या संवेदना के स्तर पर आहात होते हैं तो हमारा जीवन के प्रति विश्वास कमजोर पड़ जाता है और यही हमारे जीवन के प्रवाह को कम कर देता है या रोक देता है . इस स्थिति से हमें स्वयं ही बाहर निकल पड़ता है लोग आपकी सहायता तो कर सकते हैं पर अपनी स्थिति से उबरना खुद को ही पड़ता है और मानव जीवन है तो उसके प्रवाह को बनाये रखना हमारी  जिम्मेदारी है .

विचारों का प्रवाह हमे निरंतर गतिशील रखता है विचार है तो उनपर सोचने की प्रक्रिया ही विचारों का प्रवाह है अपने आसपास के वातावरण के प्रति हमरी प्रतिक्रिया हमारे विचारों के प्रवाह से ही झलकती है. विचार हमें आभास करते हैं की हम मानव हैं और हमारा जीवन उपयोगी और कीमती है उसे व्यर्थ न जाने दें...........विचारों में प्रवाह हमारी चेतना से जुड़ा है.विचारों में बहाव हमें विचारों को परिष्कृत करता है और दूसरों की भावनाओं और संवेदनाओं को बेहतर ढंग से समझने में हमारी सहायता करता है .

 

जल बिना प्रवाह के अपना वजूद खो देता है, जल का प्रवाह हमें जीवन से जोड़ता है और उसके प्रवाह का ध्यान हमें ही रखना होगा, जल का प्रवाह ये सन्देश भी देता है की मानवीय भावना और प्यार हमेशा उपर से नीचे याने माता-पिता से अपनी संतान की और प्रवाहित होता है.


आइये हम भी प्रवाह से जुड़े और अपने रिश्तों को मजबूत करें .

  

उपरोक्त रचना मौलिक एवं अप्रकाशित है।

Views: 699

Replies to This Discussion

मस्तिष्क का स्फूर्त और त्वरित होना ही जीवन प्रवाह है ,वहीं हमारे आतुरता को सार्थक दिशा और उदेश्य को सार्थकता देने में सक्षम है |
"चरैवेति " अपने जीवन दर्शन में श्रुति से दिक्दर्शीत है |
'चलना ही जिंदगी है ,रुकना ही मौत तेरी |'
बधाई एवं साधुवाद वीणाजी ! सुंदर प्रस्तुति |
























\

चेतनता का आह्वान करते हुए आपके विचारों का प्रवाह बड़ा ही प्रभावी है.

जीवन को जीवन्त बनाये रखने के लिए आपने जिस विन्दु पर प्रकाश डाला है...सच में अनुकरणीय है आदरणीया वीणा जी।

सादर बधाई इस महत्वपूर्ण लेख के लिए।

वीना  जी

प्रवाह को आपने विषय बनाया i उसको जीवन से जोड़ा i  यह  सोच बड़ी पुरानी है  है i  पर आपकी अभिव्यक्ति सुन्दर है i   इसीलिये सामग्री  पठनीय बन पडी है i आपको सुन्दरालेख के लिए बधाई i

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service