For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुःख हरो द्वारका नाथ शरण मैं तेरी ……. ! 
मोबाइलक घण्टी बाजल ! स्क्रीन पर चमकै छल “ कनियाँ के फोन ” ! 
इग्नोरक त प्रश्ने नहि !! धरफरा क फोन उठौलौं 
----- हेलौ ! .... कहु ! सब ठिक कि ने ?
---- की ठीक ! ... लंच केलौं। 
----- हँ ! ..... छौड़ा सब ठिक अछि कि ने ? 
------ की ठीक रहत ! ...... जखन स' दर्श स्कूल सँ आएल अछि दर्श आ रित्विक दुनू उठ्ठम पटका केने अछि, मुदा ठीक अछि। 
------ यै , हमरा त' आहाँक फोनक घण्टी सुनिकय कने काल लेल बुझू त' हृदयक गति रुकि जाइत अछि । होइत रहइया जे की केलक इ सब छौड़ा से नहि जानि । जा धरि आहाँ इ नहि कहि दैत छी जे ई अगत्ती सब ठीक अछि ता धरि साँस टंगले रहैया नञि बाहर छोड़ि पबै छी आ नञि अन्दर क पबै छी । डरे बुझू प्राण सुखायल रहैया। तैं कहैत रहैत छी जे फोन अनेरो नहि कैल करु । ( मक्खन लगेलौं ) 
------- त' आहाँ अपने मोने एक बेर फोन क लेब से त' होइया नहि ! ( निर्विकार बजलैन ) 
-------- व्यस्त रहै छी , तैं नहि क पबैत छी। ( दाब देलौं ) 
-------- फेसबुक पर की ऑफिसक में !!! ( कनिया टिपलैन्हि । ) 
-------- छोड़ू इ बात सब ......... कहु कोनो खास बात !! ( मिमियैलियन ) 
---------- हँ ! ( हुँकारी देलैन ) 
---------- से की ? ..... बाजु ! ( मन हुदबुदाय लागल ) 
---------- काल्हिखन छोटका बौआ सबटा फेनाइल हरा देलकै , से अबैत काल एक बोतल फेनाइल ल' लेब । माँछी देखाइत छल, कतवो साफ क दैत छियै तैयौ एक - आध टा आबिए जाइत छैक। ( समस्या प्रकट केलन्हि ) 
---------- एकर माने ठीक सँ सफाई नै करैत हेबै । ठीक सँ कहियौ काज बाली के पोछा लगाओत । सबतरि माँछिये लगै छै की ? ( उत्क्रोँच देलियैन ) 
----------- यौ अपना भरि त' ठीके सँ लगबै छै, हम ताहि द्वारे आन काज छोड़ि पोछा लगबय काल हम ओकरे लग ठाढ़ रहै छी जे कहीं कतहुँ छोड़ि नहि दए। ( सफाई देलैन ) 
------------ गन्दा रहइया तैं न माँछी लगैया ? नहि त' कियै लगितै । ( टीपलहुँ ) 
------------ केहन गप्प कहै छी , हम त यौ बिना गन्दा के सेहो माँछी लगैत देखलियैया !!! ( कनी गर्मेली ) 
------------ लागि सकैत अछि जेना खाना परोसि राखी दियौ वा कोनो खाय बला सामान उघार छोड़ि दियौ , ओहो सब पर माँछी लागय लागत। हमरा जनैत ता एहनो भ' सकैत अछि। ( मद्धिमें बुझबय लगलहुँ ) 
----------- सेहो ठीक कहै छी, मुदा माछिक घर में प्रवेश बिना गन्दगी के संभव नहि। घर यदि सम्पूर्ण रूप सँ साफ़ - सुथरा रहत त' खेनाइ दू मिनट उघारो रहि सकैत अछि , ओहि पर माँछी नहि लागsत। अहुँ के लोक आ कि हम तावते धरि निक कहब, जा धरि स्वच्छ हृदय सँ संग रहब, आ जहिया मोन में कचरा भरि जायत तहिया हम की आ दुनियाँ की , नुका क' वा प्रत्यक्ष , कम की बेसी, खराप त कहबे करत । ( ज्ञान देलैनि ) 
---------- फेनाइल लेल फोन केने छलहुँ की हमरा संग लड़य लेल। हद भ गेल मौका भेटल की टूटि पड़ै छी । ...... ठीक छै , बड्ड काज अछि । अबैत काल याद रहत त' नेने आयब। ...... फोन धरू ! किछु भोजनो कैल करी ... खाली हमरे माथ स काज नहि चलाबी ! 
जा किछु आर टिपतथि ताबैत फोन काटि धम्म स कुर्सी पर बैसि गेलहुँ आ पनिक बोतल मुँह में द देलियै .... गट गट ...... !!!!

-------- संजय झा "नागदह"

(मौलिक आ अप्रकाशित) 

Views: 762

Replies to This Discussion

मंजूरी देबाक लेल धन्यवाद !

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service