For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(श्री तिलक राज कपूर जी द्वारा मेल से भेजे गए पोस्ट को हुबहू पोस्ट किया जा रहा है.....एडमिन)
 
जि़हाफ़:

जि़हाफ़ का शाब्दिक अर्थ है न्‍यूनता या कमी। बह्र के संदर्भ में इसका अर्थ हो जाता है अरकान में मात्राओं की कमी। ग़ज़ल का आधार संगीत होने के कारण यह जरूरी हो गया कि मात्रिक विविधता पैदा की जाये जिससे बह्र विविधता प्राप्‍त हो सके। इसका हल तलाशा गया मूल अरकान में संगीतसम्‍मत मात्रायें कम कर उनके नये रूप बनाकर। मात्रायें कम करना कोई तदर्थ प्रक्रिया नहीं है, इसके निर्धारित नियम हैं।


मुख्य जि़हाफ़:



फा/फे

2

मफा

12

फैलुन्

22

फयलुन्

112

फऊलु

121

मफ्ऊलु

221

मफ्ऊलुन्

222

फियलातु

1121

मफाईलु

1221

मुफायलुन्

1212

फियलातुन्

1122

फायलातु

2121

मुफ्तयलुन्

2112

मुस्तफ्फैलुन्

2222

मुस्तफ्यलु

2211


अन्य जि़हाफ़़:



मुस्तफयलुन्

21112

मुफतयलुन्

11112

मुफ्तयलातुन

21122

मुतफायलतुन्

112112

मुफायलातुन्

12122

 

 


महजूफ, मख्बून, मक्फूफ, मुतव्वी, मारफो, मक्तुअ, मशकूल, मक्बूज, अस्लम, अखरब, मन्हूर, अस्तर, अखरम, अबतर इस प्रकार कुल 14 जि़हाफ़़ हैं जिन्‍हें बनाने के नियम निम्‍नानुसार हैं:



जिहाफ़

नियम

उदाहरण

महजूफ

जिन अर्कान में अन्‍त में दो या अधिक दीर्घ एक साथ आते हैं उनमें से अंतिम एक दीर्घ हटाने पर महजूफ जिहाफ बनता है।

122-12
1222-122
2122-212

मख्बून

मफ्ऊलात जैसे दीर्घ से शुरू होने वाले अर्कान के आरंभ के दीर्घ 2 को लघु 1 बनाने से मख्‍बून जिहाफ बनता है।

212-112
2122-1122
2212-1212

मक्फूफ

मफ्ऊलात् जैसे तीन दीर्घ और एक लघु मात्रा के अरकान के अन्तिम दीर्घ को लघु में परिवर्तित करने से मक्फूफ जिहाफ बनता है।

1222-1221
2122-2121
2212-2211

मुतव्वी

जिन अर्कान के प्रारंभ में दो या अधिक दीर्घ एक साथ आते हैं उनमें से दूसरे दीर्घ को लघु बनाने पर मुतव्वी जिहाफ बनता है।

2212-2112
2221-2121

मारफो

मफ्ऊलात 2221 का लघु हटाकर दूसरे दीर्घ को लघु बनाने से मारफो जिहाफ बनता है।

2221-212

मक्तुअ

फाइलातुन् 2122 के महजूफ जिहाफ 212 से लघु हटाने पर बनने वाले जिहाफ को मक्तुअ कहते हैं।

2122-212-22

मशकूल

फाइलातुन् 2122 के आरंभ व अन्तिम दीर्घ को लघु बनाने से मशकूल जिहाफ बनता है।

2122-1121

मक्बूज

फऊलुन् 122 के अन्तिम और मफाईलुन् 1222 के अन्तिम से पहले वाले दीर्घ को लघु बनाने से मक्बूज जिहाफ बनता है।

122-121
1222-1212

अस्लम

फऊलुन् 122 के लघु को हटाने से अस्लम जिहाफ बनता है।

122-22

अखरब

मफाईलुन् 1222 का लघु हटाकर अन्तिम दीर्घ को लघु बनाने से अखरब जिहाफ बनता है।

1222-221

मन्हूर

मफ्ऊलात 2221 का लघु व दो दीर्घ हटाने से मन्हूर जिहाफ बनता है।

2221-2

अस्तर

मफाईलुन् 1222 का लघु हटाकर बीच के दीर्घ को लघु बनाने से अस्तर जिहाफ बनता है।

1222-212

अखरम

मफाईलुन् 1222 का लघु हटाने से अखरम जिहाफ बनता है।

1222-222

अबतर

मफाईलुन् 1222 का 122 और फऊलुन् 122 का 12 हटाने से बाकी रहा अबतर जिहाफ बनता है।

1222-2
122-2

Views: 3774

Replies to This Discussion

बहुत बहुत धन्यवाद तिलकराज कपूर जी का इस जानकारी को हमसे साझा करने के लिए।
एडमिन जी, आपका बहुत शुक्रिया...हम जैसों को बहुत मदद मिलेगी इस जानकारी से.

तिलक जी बहुत बहुत धन्यवाद.

 

नमस्कार
कुछ जिज्ञासाएँ ,

2212 2212 2212 22 मेँ यह 22 को क्या नाम दिया जाए ?
2122 2122 2122 22 मेँ फिर ?
122 22 122 22 122 यिसको किस तरह नामाकरण करेँ ?
हिन्दीभाषी न होने से मेरी भाषा मेँ अगर कोही कमजोरी आई तो माफ किजिएगा ।

रमल मुसम्मन् मक्तुअ

2122 2122 2122 22

फायलातुन्

फायलातुन्

फायलातुन्

फैलुन्

2122

2122

2122

22

 

2212 2212 2212 22 रज़ज़ का ही कोई रूप किसी ने ईज़ाद किया होगा, मान्‍य रूप में ऐसी कोई बह्र मेरी जानकारी में नहीं है।

यही स्थिति 122 22 122 22 122 की है जिसमें 5 रुक्‍न शंकास्‍पद हैं। बह्र में 1, 2, 3, 4, 6 या 8 रुक्‍न एक पंक्ति में होते हैं, 5 रुक्‍न मैं तो पहली बार देख रहा हूँ इसलिये किसीका प्रयोग भर लगता है ये। अगर इसे 1222 2122 2212 2 भी करें तो कोई मान्‍य बह्र नहीं दिख रही। आप मूल शेर भेजें तो कुछ बात बने। संभावना यही है कि इसमें कुछ मात्रायें गिराने की स्थिति बन रही होगी और आपने यथावत् रख दी हैं।

आप की इस तालिका के माध्यम से कुछ सिख रह हूँ /  १२२२२  १२२२२  १२२  को  इस  तरह  से  देखा  जाए  तो  कैसा  होगा ?
१२२२  २१२  २२२  १२२ बहर हजज अस्तर अखरम महजुफ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Monday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Monday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sunday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Saturday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service