दिखा दे अब मुझको तू दीदार प्यारा
जुदाई का सदमा न दे मुझको या खुदारा ॥
तेरे हुस्न का जलवा सारे जहां मे
दिखाता है अपना अपूरब नजारा ॥
हो वर्णन कहाँ तक तेरा मजहबी पन
हैं लज्जित सभी सूर्य चंदर सितारा ।।
तेरे गुण का गायन करे कौन स्वामी ,
गए शेष शारद भी कर जब किनारा ।।
अरज मेरी अब यही है दयामय,
हे ! सदानन्द हो हृदय मे बास अब तुम्हारा ॥................ अन्नपूर्णा बाजपेई
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