For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नकबेसर के टोह में, अँगुरी मींजे रात ।
उहे दिवाली आजु ले, सिहरन पारे बात ॥

जम-दीया आ सूप से, भइल दलिद्दर दूर ।
पुलक गइल घर-देहरी, जगर-मगर भरपूर ॥

तुलसी माई साधि दऽ, पितरन के मरजाद।
नेह-छोह के सीत में, कोठ रहे आबाद ॥

कूहा तान दुआर पर, मावस ओदे भोर ।
मनल दिवाली राति भर, दियरी पोछसु लोर ॥

आस-हुलासा का जिओ, मन-खूँटी बरियार ।
भगजोगनी क फेर में, बाउर भइल अन्हार ॥

*******************

--सौरभ

******************

नकबेसर - नाक में पहना जाने वाला आभूषण ;टोह - खोज ; मींजना - मसलना ; पारना - याद दिलाना ; 

जम-दीया - यम के नाम का दीप ; - और ; सूप - बाँस की फट्टियों से निर्मित अनाज फटकने हेतु प्रयुक्त ; भइल - हुआ ; दलिद्दर - दरिद्रता ; पुलक गइल - हर्षित हुआ ;    
माई - माता ; साधि दऽ - साध दो, व्यवस्थित कर दो ; पितरन के - पितरों का ; मरजाद - मर्यादा, सीमायें, (यहाँ ’अपेक्षाओं’ को साधने के संदर्भ में लिया गया है) ; नेह-छोह - स्नेह-दुलार ; सीत - ओस ; कोठ - बाँस और वंश का उद्गम
कूहा - कुहासा ; तान - तानना ; दुआर - द्वार, घर के सामने, बाहर का ; मावस - अमावस ; ओदना - नम करना, तर करना, भिगोना ; दियरी - मिट्ट्छोटा दीया, पोछसु - पोछती है ; लोर - आँसू ;

जिओ - जिये ; बरियार - मज़बूत ; भगजोगनी - जुगनू ; फेर में - किसी के कारण ; बाउर - दोषी ; भइल - हुई ; अन्हार - अधेरा ;

Views: 979

Replies to This Discussion

सभे दोहा सुनर लगे, बहुत बहुत आभार,

चमके खूब भोजपुरी, हिय के चाह हमार |

वाह सौरभ भईया वाह, देवारी के दिया आजे जगमग कर दिहनी रउआ, सभे दोहा बहुते नीमन लागल, बधाई हमार सवीकार करी |

भाई गणेश जी, एह मंच पर भोजपुरी में हमार ई कवनो प्रथम पद्य-प्रस्तुति ह.  एह से राउर हार्दिक बधाई मन के तनि अलगे मगन कइले बा. 

हम दोहा में प्रयुक्त कई-एक शब्दन के अर्थ लिख के फेर से प्रस्तुत क रहल बानी, जेसे भोजपुरी जननिहारन भा नीम जननिहारन के इचिको सँकेता नति होखे.

रचना पर उत्साहवर्द्धन कइला खातिर हृदय से धन्यवाद.

आदरणीय गुरुदेव  दीवन का त्यौहार

तू लिखली हम बंचली करता  राम जुहार 

दिवाली मुबारक.

आदरणीय प्रदीप जी, आपके हमार एह प्रस्तुति पर बधाई दीहल बड़ा नीक लागल.

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service