For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घुमी रहेछ फनफनी दिवारको घडीसरी

कहाँ थियो कहाँ पुग्यो यो जिन्दगी नदी सरी

बनेछ दाग छातीमा बनेर दाग बल्झियो

बढेर जान्छ घाउ झन् ऊ सङ्गको दूरीसरी

उराठ लाग्दो एकलो उदास जिन्दगी हुँदा

यी दाग घाउ लाग्दछन् अमूल्य सम्पतीसरी

सँगै हिडे नि लक्ष्यमा सबै कहाँ पुगिन्छ रऽ !

हरेक मोडको कथा भेटिन्छ जिन्दगीसरी

अझै नि तान्न खोज्दछौ समाऊ पाउ छैन क्यै

जहाँ म ढल्छु भूल त्यो उभिन्छ सारथीसरी

नदेऊ अर्ती भैगयो जहाँ छ स्वार्थ गर्भमा

भन्यौ पत्याएँ तृप्त छू तितो छ औषधीसरी

यी श्लोक, शेर जे भनऽ, यही छ जिन्दगी सबै

म याद पोख्छु शब्दमा र सुन्छु ढुकढुकी सरी 

२०७१/२/२८

पुग्यो‍‌ -- पु‌+ग्यो (१२)

पत्याएँ -- प+त्या+एँ (१२x)

Views: 8761

Replies to This Discussion

भाई आवाज शर्माजी, एक अरसे बाद इस मंच पर आपकी आमद हमें भरपूर उत्साहित कर रही है. विश्वास है, भाई, आप सकुशल होंगे.

ग़ज़ल को आपने लाम-ग़ाफ़ की आवृति में क्या खूब बाँधा है ! बहुत खूब-बहुत खूब ! नेपाली भाषा संस्कृति का निखार मतले से ही रंग में है.
घुमी रहेछ फनफनी दिवारको घडीसरी
कहाँ थियो कहाँ पुग्यो यो जिन्दगी नदी सरी.. .
हकीकत के बिम्बों पर क्या सुन्दर फ़लसफ़ा हुआ है !

यी श्लोक, शेर जे भनऽ, यही छ जिन्दगी सबै
म याद पोख्छु शब्दमा र सुन्छु ढुकढुकी सरी
क्या साहब, बधाई-बधाई-बधाई !

लेकिन जिस शेर ने दिल में जगह बनायी है वो जरूर ये है -
उराठ लाग्दो एकलो उदास जिन्दगी हुँदा
यी दाग घाउ लाग्दछन् अमूल्य सम्पतीसरी

एक सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई और शुभकामनाएँ.

एक बात:
नेपाल देश के अन्य सहयोगियों और भाइयों का ओबीओ पर आना अब बनता है. ..

:-))

क्या भावपूर्ण गजल दिनु भो आबाज गुरू श्री ।

अरू अरू गजलहरू पनि राख्दै गर्नु होला है,,

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service