For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सभी कहानियां भावनाओं से परिपूर्ण: पुस्तक समीक्षा – “दायरे...रिश्तों के”

‘दायरे.... रिश्तों के’  25 लाजवाब कहानियों का यह कहानी संग्रह रोहिणी दिल्ली की लेखिका नीलू सिन्हा की भाव-प्रधान कृति है । इस संग्रह की सभी कहानियां मुख्य रुप से समाज का खोखलापन, रिश्तो में निहित स्वार्थ, रिश्तो से परे प्रेम इत्यादि भावनाओं से परिपूर्ण है। प्रथम कहानी ‘तृष्णा और बया’ तथा ‘कर्म भूमि’ में स्त्री की ममता पूर्ण छवि का रोचक वर्णन है। तो वहीं शीर्षक कथा ‘दायरे ...रिश्तो के’ कहानी स्त्री के अंदर छुपे हुए आत्मविश्वास की भावना एवं उसकी अस्मिता को एक पहचान देने पर आधारित है। कहानी ‘जिद’  रिश्तो के प्रति नायिका के लापरवाही की कहानी कहता है वही ‘ठाकुर की रखैल कहानी’ दलित स्त्रियों की समाज में स्थिति एवं दबंगों के दोहरी मानसिकता को उजागर करते हैं। ‘समय की मांग’ तथा ‘तुम और मैं’ कहानी समय के साथ व्यक्ति में परिवर्तन की मांग करती है। और ‘नई सुबह’ पति-पत्नी के संबंधों का मनोवैज्ञानिक रूप से विश्लेषण करती हुई जान पड़ती है। ‘एक औरत की जुबानी में’ परिवार में एक स्त्री का अस्तित्व तथा उसके प्रति परिवार वालों का परायापन झलकता है। कहानी ‘वृद्धा’ एवं ‘एक साँझ अकेली सी’ मे आज के अधिकांश युवाओं का भविष्य है।  कहानी ‘नाद्या’ की नायिका आधुनिक धनाढ्य परिवारों के चौखट के अंदर की स्त्री के परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करती है।

कहानी ‘विवाह’ में एक युवा बेटी की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए स्वयं के विवाह के बारे में सोचना..... पाठकों के मन में कौतूहल एवं रोचकता पैदा करता है। कहानी ‘बंजर’, ‘मर्यादा’, एवं ‘नानी’ में भी एक स्त्री का अपने परिवार एवं रिश्तो को बरकरार रखने का संघर्ष दिखता है। कहानी ‘अंधविश्वास’ और ‘मेरा आसमान’ समाज में फैले अंधविश्वास तथा पुरातनपंथी परंपराओं पर आधारित है। सड़ी गली पुरानी परंपराओं का निर्वाह करने के चक्कर में ना जाने कितनी जिंदगियां स्वाहा हो जाती हैं। कहानी के  नायक नायिका मीरा और मोहन भी इन्हीं परंपराओं की आहुति चढ़ जाते हैं।

इस संग्रह की सबसे मार्मिक कहानी ‘केसर’ को पढ़कर कपिल जैसे वासना के  अंधे लोगों के प्रति रोष पैदा होता है। अपनी हवस में अंधे होकर कैसे कोई किसी लाचार का देह पाने की सोच सकता है ?

पंडितो का पाखंड एवं सत्तालोलुपता कहानी ‘परिवर्तन की चाह’ में स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है । पति पत्नी के बीच पनपते अविश्वास की कहानी है ‘बेगुनाह’...... एक शक पुरुष के अहं को इतना अधिक जागृत कर देता है कि उसका प्यार भी घुटने टेक देता है । और स्त्री ठगी सी देखती रह जाती है। ‘हेलीकॉप्टर’ कहानी शराब के दुष्प्रभाव को सिरे से उजागर करते हैं। शराब की लत किस प्रकार किसी का घर और जिंदगी दोनों तबाह कर देती है यह इस कहानी में साफ-साफ दिखता है।

इस कहानी संग्रह के अंतिम कहानी ‘वह मैला कुचैला लड़का’ में लेखिका ने रहस्य-रोमांच एवं पर परालौकिकता को डालने का प्रयास किया है। और वह एक हद तक सफल भी रही हैं। परंतु भारतीय पाठकों को रोमांच की लंबी कहानी पढ़ने की आदत है। ऐसे में यह कहानी उनके रोमांचकारी क्षुधा को कितना तृप्त करेगी यह तो पढ़ने के बाद पाठक स्वयं ही बता पाएंगे। वैसे देखा जाए तो पुस्तक की प्रत्येक कहानी पाठकों को ताजगी का अहसास कराती हैं। कुल मिला कर नीलू सिन्हा का कहानी संग्रह, जिसे ‘वर्तमान अंकुर’ ने प्रकाशित किया है, पाठक को हर कहानी में बांधे रखता है।

आरती प्रियदर्शिनी , गोरखपुर

Views: 759

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service