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हंजुआं दा की हैहंजुआं दा की है हंजुआं दा की है आंदे बह जांदे दिल दी कहाणी आ के कह जांदे हंजुआं दा की है---------------- ख़ुशी विच आंदे हंजु ग़म विच आंदे… Started by Deepak Sharma Kuluvi |
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Aug 29, 2011 Reply by Deepak Sharma Kuluvi |
ਧੁੱਪਜਦ ਵੀ ਮਿਲ਼ੀ ਟੁਕੜੇ-ਟੁਕੜੇ ਹੀਕਿਓਂ ਧੁੱਪ ਮਿਲ਼ੀ ? ਡਾ. ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ ( ਬਰਨਾਲ਼ਾ) ਸਿਡਨੀ ( ਆਸਟ੍ਰੇਲੀਆ) Started by SS |
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Aug 26, 2011 Reply by SS |
ਕਵਿਤਾ - ਅੱਜ ਜ਼ਾਰ ਜ਼ਾਰ ਇੱਕ ਮਾਂਦੋਸਤੋ - ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਪੂਰੀ ਰਚਨਾ ਪੜ ਕੇ ਹੀ ਕਮੇੰਟ ਕਰਿਓ ਨੋਟ-ਇਹ ਮੇਰੀ ਸੋਚ ਹੈ ਕਿ ਮਾਂ ਜਦੋਂ ਆਪਣੀ ਧੀ ਦਾ ਤਿਆਗ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਕਿ ਸੋਚਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਿ ਵਿਰਲਾਪ ਕਰ… Started by राज लाली बटाला |
0 | Aug 2, 2011 |
...ਤਾਂ ਵੀ ਨਵੇਂ ਸਾਲ ਦੀਆਂ ਆਖਦਾਂ ਮੁਬਾਰਕਾਂ .}ਦੀਪ ਜ਼ੀਰਵੀਝੱਲੀਆਂ ਹਮਾਤੜਾਂ ਨੇ ਔਕੜਾਂ ਤੇ ਆਫਤਾਂ ;ਮਾਰੀਆਂ ਨੇ ਕੰਜਕਾ ਦੇਵੀ ਦੇ ਅਰਾਧ੍ਕਾਂਨਵੇ ਨਵੇਂ ਕਰ ਲਾਏ ਪਰਜਾ ਦੇ ਪਾਲਕਾਂ ....ਸੌੜੀ ਆਂ ਨੇ ਸੋਚਾਂ ਇਥੇ ਘਟੀਆ ਸਿਆਸਤਾਂ .ਅੱਸ… Started by DEEP ZIRVI |
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Jan 3, 2011 Reply by Rector Kathuria |
ਰੁੱਤਾਂ..ਰੁੱਤਾਂਰੁੱਤਾਂ ,ਰਾਂਗਲਿਆ! ਗਈਆਂ,ਵੇ ਰੁੱਤਾਂ ਸਾਂਵਰਿਆ ਗਈਆਂ.ਰੁੱਤਾਂ ਸਜ੍ਨੜਿਆ ਗਈਆਂ ,ਵੇ ਰੁੱਤਾਂ ਬੰਨੜਿਆ ਗਈਆਂ.ਤੇਰੇ ਮੇਰੇ ਦੀਦ ਦੀਆਂ ਵੇ ;ਸ਼ਾਮ ਸਲੋਨੀ ਪ੍ਰੀਤ ਦੀਆਂ… Started by DEEP ZIRVI |
0 | Dec 9, 2010 |
WHAT I AM ?नां हैगा मेरा 'दीपक कुल्लुवी ' घर मेरा दूर पहाड़ इक छोटा जेहा लेखक हाँ मैं सब नाल हैगा प्यार दीपक शर्मा कुल्लुवी ०९१३६२११४८६ Started by Deepak Sharma Kuluvi |
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Aug 30, 2010 Reply by Deepak Sharma Kuluvi |
कॉमन वैल्थकॉमन वैल्थ जल्लू मुक्की जाँनें कॉमन वैल्थ ख़राब होंणी कइयां दी हैल्थ कई घपले सामने आणें कइयां बणाई लैंणी मोटी वैल्थ कइयां दी खुली जाणी पो… Started by Deepak Sharma Kuluvi |
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Aug 30, 2010 Reply by Deepak Sharma Kuluvi |
कांगड़ी व्यंग हाई फाईकांगड़ी व्यंग हाई फाई बापू लग्गेया आल्लु छिल्लना अम्मां लगाइयो हेयर डाई मुन्नुं लगेया कपडा कपड़े धोना नूहें मेहंदी हत्थां च लगाइयो हाई वो… Started by Deepak Sharma Kuluvi |
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Aug 30, 2010 Reply by Deepak Sharma Kuluvi |
नौराते दे मेल्लेਨੌਰਾਤੇ ਦੇ ਮੇਲ੍ਲੇ नौराते दे मेल्ले साहनू अपना बना लै शेरां वालिए दुःख गमां ते बचा लै मेहरां वालिए साहनू अपना बना लै------------ (१)जो आंदे म… Started by Deepak Sharma Kuluvi |
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Aug 29, 2010 Reply by Rana Pratap Singh |
'दीपक कुल्लुवी' नहीं कैहंदानहीं कैहंदा 'दीपक कुल्लुवी' नू याद करो 'दीपक कुल्लुवी' एह नहीं कैहंदा जरा झांक के बेखो दिल अपणे ओह तुहाडे दिल विच ही रैहन्दा तुस्सी भुल्ल… Started by Deepak Sharma Kuluvi |
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Aug 29, 2010 Reply by Rana Pratap Singh |
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