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सम्माननीय साथियो,
 
"OBO लाईव महा उत्सव" अंक ५ का आयोजन दिनांक ४ मार्च से ६ मार्च तक नौजवान शायर जनाब विवेक मिश्र "ताहिर" की देख रेख में किया गया जिसका विषय था "होली" ! पिछले ४ आयोजनों कि तरह इस आयोजन में रचनाधर्मियों ने बड़े जोश-ओ-खरोश के साथ शिरकत की ! हालाकि इस आयोजन ने सही रफ्तार दूसरे दिन ही पकड़ी तथा तीसरे और अंतिम दिन तक पहुंचते पहुँचते यह आयोजन एक यादगार आयोजन हो निपटा !  होली को विषय बना बहुत ही स्तरीय रचनाएँ इस आयोजन में पढ़ने को मिलीं ! सब से महत्वपूर्ण बात जो इस बार देखने को मिली कि होली के मस्त और हुडदंगी माहौल में भी हर एक प्रस्तुत रचना में गंभीरता दिखी, मस्ती के आलम में भी साहित्यक पक्ष को रचनाकारों ने एक पल के लिए भी इग्नोर नहीं किया ! होली से सम्बंधित शायद ही कोई ऐसा पहलू होगा जो इस आयोजन में अछूता रह गया हो ! कविता, नज़्म, दोहा, मुक्तक,गीत, छंद, रुबाई और यहाँ तक कि चौपाई जैसी पारम्परिक एवं सनातनी विधा में भी यहाँ रचनाएं प्रस्तुत की गईं ! विभिन्न आंचलिक भाषा और शैलिओं का अनुपम संगम भी यहाँ पर देखने को मिला ! इन सब के अतिरिक्त आचार्य संजीव सलिल जी द्वारा लगभग प्रत्येक रचना पर सुन्दर और सटीक काव्यात्मक टिप्पणी इस आयोजन की "ब्यूटी" रही जिस ने इस आयोजन को एक नई ऊंचाई बख्शी !

 

मैं उन सब रचनाधर्मियों को दिल से साधुवाद देना चाहूँगा जिनकी शिरकत ने इस "महा-उत्सव" को सफल बनाया ! मैं उन सब महानुभावों का भी आभारी हूँ जिन्होंने खुद न लिख कर दूसरे साथियों की रचनायों की दिल खोल कर प्रशंसा की और उनका उत्साहवर्धन किया ! अंत में मैं इस आयोजन के संचालक श्री विवेक मिश्र "ताहिर", ओबीओ के सर्वेसर्वा श्री गणेश जी बागी साहिब, एवं भाई प्रीतम तिवारी को इस सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूँ !  


सादर !

योगराज प्रभाकर

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संपादक जी रपट हेतु साधुवाद | सलाह ये कि अगर रचनाओं की एक एक पंक्ति भी दे देते तो सोने पे सुहागा होता |

अरुण भाई सच तो ये है कि मैं सारी कि सारी रचनाएँ ही एक साथ इस रपट के साथ देना चाहता था ! और महा-उत्सव के ५५ पन्नों में से रचनायों को बड़ी मुश्किल से कॉपी-पेस्ट किया भी, लेकिन ओबीओ में किसी पोस्ट के लिए १०००० शब्दों की सीमा होने की वजह से वो नहीं हो पाया ! मैं पूरी कोशिश करूंगा कि भविष्य में आपको शिकायत का मौका न मिले !
मैन समझ रहा था  योगराज जी कि कोई मजबूरी रही होगी | आभार!  वैसे रपट प्रशंसनीय है |
अभिनव जी की बात से मैंसहमति प्रकट करता हूँ, योगी जी को समय देना ही होगा..सादर
कामरेड साहिब,  क्या समय मुझे अकेले को ही देना होगा ?

हमेशा की तरह, इस बार के OBO महा-उत्सव में भी सभी रचनाकारों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वस्तुतः यह सभी का साहित्य-स्नेह ही था (और साथ ही 'होली' के रंगों का असर भी), जिसके कारण महज ३ दिनों में ही ६५० से भी ज्यादा टिप्पणियाँ और रचनाएँ प्राप्त हुईं. इस सफल आयोजन के लिए मैं श्री गणेश जी 'बागी', प्रधान सम्पादक- श्री योगराज प्रभाकर जी और भाई प्रीतम जी के साथ-साथ, एक बार पुनः उन सभी रचनाकारों का हार्दिक आभारी हूँ, जिनके सहयोग से महा-उत्सव की सफलता सुनिश्चित हो सकी.

जय हो!

प्रिय विवेक भाई, आपको इस तरह सक्रिय देख कर मुझ से ज्यादा शायद ही कोई और खुश होगा ! आपने जिस प्रकार महा-उत्सव का संचालन किया - मैं उस कि भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ !

योगराज जी,,,,प्रणाम,,,,,,,,,,,,

सुन्दर ब्याख्यात्मक रिपोर्ट हेतु आभार,,,,,,,,,,,,,,एवं आपकी प्रतिक्रिया से हम सभी रचनाकारों का  उत्साह वर्धन हॊता है,,,,,,,भविष्य में भी इसी प्रकार की आशा है,,,,,,,

धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं आपका हार्दिक आभारी हूँ कविराज !

ताहिर जी,,,,,,,,,,,,

आपके सफ़ल संचालन में ओ.बी.ओ.५वां महोत्सव सम्पन्न हुआ,आपको कोटि-कॊटि बधाई,,,,,,,,,,,,,,,,,

हार्दिक आभार, राजबुन्देली जी! आपकी लेखनी ने भी जमकर रंग बरसाए. बधाई स्वीकारें.
सही बात ताहिर जी बधाई के हकदार आप है , बढियां संचालन रहा |

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