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गीत भूले बिसरे

मित्रों आप सबके समक्ष है नए सालका नया तोहफा एक नए कोने के माध्यम से| प्रस्तुत है भूले बिसरे गीतों की कहानी " गीत भूले बिसरे"| प्रतिदिन साईट में दाहिनी तरफ परिवर्तित होने वाला यह कोना आप सबको ऐसी पुरानी यादों में ले जायेगा जो मष्तिष्क के किसी कोने में अब भी तरो ताज़ा
हैं| ऐसे गीत जिन्हें जिन्हें ज़माने में उडी धूल की परतों ने धुंधला कर
दिया है, जिन्हें  सुनकर पुराने दिन चोले बदल कर सिरहाने आ बैठते हैं, दिल
के कसी कोने में एक हलचल सी मचाती है| आपकी यादों के इन्ही घरौंदों को बचा
कर रखने की एक कोशिश है " गीत भूले बिसरे"|

*मुख्य पृष्ठ पर स्थान उपलब्ध करने के लिए OBO प्रबंधन को भी बहुत बहुत धन्यवाद|

आशा है आपको यह प्रयास बहुत पसंद आयेगा|

इस कोने के बारे में अपनी प्रतिक्रया से ज़रूर अवगत कराएं|

 

आपका अपना

(राणा प्रताप सिंह)


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साथियों आज की प्रस्तुति है 1970 में मनोज कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म पूरब और पश्चिम से....इस गीत को स्वर से सजाया है मुकेश ने...संगीतकार हैं कल्यानजी-आनंदजी और गीतकार हैं इन्दीवर....

गीत है-- कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए...

 


दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1969 में राज खोसला द्वारा निर्देशित फिल्म दो रास्ते से...इस गीत को स्वर से सजाया है लता मंगेशकर और रफ़ी ने...संगीतकार और गीतकार हैं लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल.....
गीत है-- छुप गए सारे नज़ारे ओए क्या बात हो गयी, तुने काजल लगाया दिन में रात हो गयी....

दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1976 में यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म कभी कभी से....इस गीत को स्वर से सजाया है लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने....संगीतकार हैं खय्याम और गीतकार हैं साहिर लुधियानवी..... गीत है-- तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती, नज़ारे हम क्या देखे,,,तुझे मिल के भी प्यास नहीं घटती नज़ारे हम क्या देखें..

आज की प्रस्तुति है 1969 में एल.वी.प्रसाद द्वारा निर्देशित फिल्म जीने की राह से....इस गीत को स्वर से सजाया है रफ़ी साहब ने.....संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और गीतकार हैं आनंद बक्शी....
गीत है-- आने से उसके आये बहार, जाने से उसके जाये बहार बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा...


दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1982 में बी.आर.चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म निकाह से....इस सुनहरे गीत को अपने सुनहरे स्वर से सजाया है महेंद्र कपूर ने...संगीतकार हैं रवि और गीतकार हैं हसन कमाल.....
गीत है-- बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी,ख़्वाबों में ही हो चाहे मुलाकात तो होगी...

दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1958 में राज खोसला द्वारा निर्देशित फिल्म सोलवा साल से....इस गीत को स्वर से सजाया है हेमंत कुमार ने...संगीतकार हैं सचिन देव बर्मन और गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी....
गीत है-- है अपना दिल तो आवारा, ना जाने किस पर आएगा...


साथियों आज की प्रस्तुति है 1960 में के.आसिफ द्वारा निर्देशित फिल्म मुग़ल-ए-आज़म से....इस गीत को स्वर से सजाया है शमशाद बेगम और पी.सुशीला ने....संगीतकार हैं नौशाद और गीतकार हैं शकील बदायुनी.....
गीत है- तेरी महफ़िल में किस्मत आजमाकर हम भी देख्नेगे,एक घडी भर तो तेरे करीब आकर हम भी देखेंगे...


साथियों आज की प्रस्तुति है 1978 में प्रकाश महरा द्वारा निर्देशित फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर से... इस गीत को स्वर से सजाया है लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने...संगीतकार हैं कल्यानजी - आनंदजी और गीतकार हैं अनजान....
गीत है- सलाम ऐ इश्क मेरी जान ज़रा क़ुबूल कर लो, तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो...

साथियों आज की प्रस्तुति है 1970 में एल.वी.प्रसाद द्वारा निर्देशित फिल्म खिलौना से....इस गीत को स्वर से सजाया है मोहम्मद रफ़ी ने...संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत प्यारेलाल...गीतकार हैं आनंद बक्शी....
तो सुनिए और आप सब भी गुनगुनाइए-- खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी,बेवफा ही सही दिलरुबा है मेरी....

साथियों आज की प्रस्तुति है 1974 में अशोक राय द्वारा निर्देशित फिल्म चोर मचाये शोर से.....इस सुनहरे गीत को अपने सुनहरे स्वर से सजाया है किशोर कुमार ने....संगीतकार और गीतकार हैं रविन्द्र जैन......
गीत है-- घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं, कभी इस पग पे कभी उस पग पे बंधता ही रहा हूँ मैं

दोस्तों, आज प्रस्तुत है १९६४ में प्रदर्शित हुई फ़िल्म "चा चा चा" का एक युगल गीत, जिसे स्वर दिया है आशा भोसले और मुहम्मद रफ़ी ने, संगीतकार है इकबाल कुरेसी, कलम का जादू बिखेरा है हैदराबादी फनकार मखदूम मोहयूद्दीन साहब ने |

चंद्रशेखर द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य भूमिका में थे स्वयम चंद्रशेखर, हेलेन, ओम प्रकाश, बेला बोस, लीला मिश्रा, अरुणा ईरानी और दारा सिंह जी | इस गीत को देर रात में सुनिये बहुत आनंद आयेगा | प्रस्तुति :- गणेश जी "बागी"

दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1987 में राज सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म सत्यमेव जयते से.....इस गीत को स्वर से सजाया है बप्पी लहरी और एस.जानकी ने......संगीतकार हैं खुद बप्पी लहरी और गीतकार हैं फारूक कैसर......इस फिल्म में मुख्य भूमिका में बिनोद खन्ना और अनीता राज हैं.....
गीत एक बात सुनिए तो सही जनाब आप भी गुनगुना पड़ेंगे-- दिल में हो तुम, आँखों में तुम, बोलो तुम्हे कैसे चाहूं.....

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