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कामनवेल्थ गेम्स २०१० समाप्त.....जितनी अच्छी शुरुवात उतना ही शानदार समापन. अरे बंधुवो मैं स्वागत समारोह की बात कर रही हूँ...उसके पहले की नन्ही...उसके पहले के बारे में तो आपको पता ही है..मुझे तो आज भी याद है..पता नन्ही आपको याद है या नंही? याद है न वो पूल का गिरना ठीक जवाहरलाल स्टेडियम के बाहर ...किसकी गलती थी वो ..क्या काल्माड़ी की...या फिर दिल्ली सरकार की...किसकी जिम्मेवारी थी पूल बनाने की...गेम्स विलेज की वो गन्दगी जिसे बीबीसी वालों ने बड़े चाव से दिखाया और भारत का नाम दुनिया भर में बदनाम किया...किसकी देन थी वो काल्माडी की या दिल्ली सरकार की..स्टेडियम के अन्दर वो आवारा कुत्तों का घूमना...कुत्तों की पकड़ने की जिम्मेवारी किसकी थी क्या कालमाडी और कम्पनी की?

मेरा कोई इरादा नंही है काल्माडी को क्लीन चिट देने की...उनके तरफ उंगलिया उठना स्वाभाविक है..आखिर वो आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं...अभी समाचार देख रहे थे...CAG को जांच का जिम्मा मिला है...स्वागत योग्य कदम है...लेकिन नतीजे आने के पहले ही काल्माडी को एकतरफा दोषी ठहरा देना कान्हा तक उचित है? कंही ये सता में बैठे चंद लोगों को बचाने की मुहीम तो नंही है...

अभी होड़ लगी है खेल के सफलता का श्रेया लेने की...असली श्रेय किसको जाता है , उसको जिसकी वजह से गेम्स के ठीक पहले भारत को शर्मशार होना पडा था विश्व मीडिया के सामने, या उसको जिसकी अभूतपूर्व सुरक्षा के चलते भारत की नाक बंची , जिसके अभूतपूर्व ओपनिंग और क्लोसिंग सरेमोनी के चलते इस आयोजन को एक सफलतम आयोजन का नाम दिया गया, उन एथलीटों की वजह से जिनकी वजह से भारत पदक तालिका में दुसरे स्थान तक पहुँच सका....या फिर उनको जो अपना श्रेय लेने के लिए बेताब दीख रहे हैं और काल्माडी से किनारा कर रहे हैं, काल्माडी को पहले ही दोषी बताने में कोई कोर कसर नंही छोड़ रहे....

हम बलि के बकरे की बात कर रहे हैं...कंही बलि का बकरा मिल तो नंही गया है...क्या जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता भर करनी है..असली गुनाहगारों पर पर्दा डालने के लिए...

मैं काल्माडी को उनकी जवाबदेही से मुक्त होने की बात नंही कर रही..पर क्या वो अकेले संदेह के घेरे में हैं?

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