For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

." अनजानी दस्तक " का लोकार्पण .....अविनाश बागडे का संचालन

Photo: " अनजानी दस्तक " से.... ************************ ' उनके हिस्से के गम नहीं देखते, घर के बाहर , हम नहीं देखते. फूलों को खिलना था खिल गए, अच्छा बुरा मौसम नहीं देखते.' ----माधुरी राउलकर...नागपुर. --------------------------------- हाल ही में नागपुर की जानी-मानी शायरा माधुरी राउलकर के ग़ज़लों का गुलदस्ता.." अनजानी दस्तक " का लोकार्पण नामचीन साहित्यकारों के समक्ष डॉ.वेदप्रकाश मिश्रा के साथ प्रसिद्द गीतकार कृष्ण कुमार चौबे,गायक एम्. ए. कादर, प्रक्षेप प्रकाशन के मानद संचालक व् रचना के अध्यक्ष डॉ. सागर खादीवाला ने किया.कवी अविनाश बागडे ने कार्यक्रम का संचालन तथा व्यंगकार अनिल मालोकर ने आभार माना.

Views: 1192

Reply to This

Replies to This Discussion

माधुरी राउलकर जी को हार्दिक बधाई तथा विमोचन की सफलता हेतु बागडे जी व् उससे जुड़े सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई 

AABHAR Rajesh kumari mam..

अविनाश जी,
माधुरी राउलकर जी तथा आपको हार्दिक बधाई

बहुत बहुत आभार वीनस केसरी  जी.

भाई अविनाशजी, हिन्दी साहित्य के विकास हेतु समर्पित रचनाकारों और वरिष्ठ सदस्यों को मेरी हार्दिक बधाई संप्रेषित है.

बहुत बहुत आभार सौरभ जी.

badhaai badhaai badhaai

 आभार   आभार  आभार Albela Khatri  जी. 

आदरणीय अविनाश सर जी बहुत बहुत बधाई आपको इस सफल संचालन हेतु
आदरणीया माधुरी जी को भी हार्दिक शुभकामनाओं सहित सादर बधाई

बहुत आभार SANDEEP KUMAR PATEL ji.

लेखक के साथ साथ आपको और इस साहित्यिक आयोजन से जुड़े सभी विद्व जनों को हार्दिक बधाई !! 

आभार'Abhinav' ji.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
31 minutes ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service