For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियों,

आज हमारा हर दिल अजीज़ ओबीओ अपने दो साल का सफ़र पूरा कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है. दो साल का  यह सफ़र सुहाना ज़रूर था मगर आसान कतई नहीं था. बहुत सारे खट्टे-मीठे अनुभवों, विरोधो-अंतर्विरोधों, समस्याओं-समाधानों तथा मुस्कुराहटों-पीड़ायों की दास्तान रहा है यह सफ़र. घुटनों के बल रेंगते रेंगते आज वो समय आया है कि यह मंच अपने पाँव पर खड़े  होने की स्थिति में आ रहा है. श्री गणेश जी बाग़ी द्वारा रोपा गया ये बीज आज एक अच्छा ख़ासा पेड़ बन अंगिनत पक्षियों की शरणगाह बन रहा है. मंजिल-ए-मकसूद अभी दूर ज़रूर है, लेकिन फिर भी आज हम उस मुकाम पर अवश्य पहुंचे हैं जहाँ ओबीओ को सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा है. 
.
पहले दिन से ही यह मंच किसी प्रकार की भी साहित्यक मठाधीशी और चौधराहट के विरूद्ध रहा है. ओबीओ द्वारा गठित पांच सदस्यीय प्रबंधन समिति तथा सात सदस्यीय कार्यकारिणी समिति इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यहाँ हर निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से बेहद पारदर्शिता से ही लिया जाता है. ओबीओ की यही विशिष्टता उसे अन्य मंचों से कहीं ऊपर ले गई है.
.

स्तरीय साहित्य सर्जन के लिए नवांकुरों को प्रोत्साहित करना ओबीओ के मुख्य लक्ष्यों में से एक है. मुझे यह कहते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है कि ओबीओ ही शायद एकमात्र मंच है जहाँ किसी को भी शकल देखकर दाद नहीं दी जाती. ओबीओ ही एक मात्र ऐसा मंच है जहाँ एक एक पंक्ति, और एक एक शेअर पर समीक्षात्मक चर्चा की जाती है. आज इस बात को सभी ने माना है कि ओबीओ सीखने-सिखाने का एक अनूठा मंच है जहाँ सभी सदस्य एक दूसरे के अनुभवों से बहुत कुछ सीख रहे हैं. साहित्य की सभी विधायों को यहाँ समान आदर की दृष्टि से देखा जाता है. इसी उद्देश्य से ओबीओ पर प्रति माह तीन तीन   त्रि-दिवसीय ऑनलाइन आयोजन भी करवाए जाते हैं. जिनका ब्यौरा इस प्रकार है: 
.
१. ओबीओ लाइव महा-उत्सव : इस  आयोजन में रचनाकारों को एक विषय दिया जाता है, जहाँ सभी रचनाकार अपनी अपनी रचना के माध्यम से अपने विचारों कि अभिव्यक्ति करते हैं.
.
२. ओबीओ लाइव चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता :  यह एक  इनामी प्रतियोगिता है. इसमें एक चित्र देकर उसे अपने अपने ढंग से परिभाषित करने  को कहा जाता है. इस आयोजन में केवल छंद - आधारित रचनाएँ ही सम्मिलित की जाती हैं. प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वालो को पुरूस्कार स्वरूप क्रमश: १००१ , ५०१, २५१ रुपये की नकद राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  .
३. ओबीओ लाइव तरही मुशायरा: इस मुशायरे में शायरों को किसी नामवर शायर की ग़ज़ल का एक मिसरा देकर उस पर ग़ज़ल कहने के लिए आमंत्रित किया जाता है.      
.
इसके इलावा प्रति माह "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना" एक "महीने के सब से सक्रिय सदस्य" को भी क्रमश: ५५१ व ११०० रूपये नकद एवं प्रशस्ति  पत्र  देकर सम्मानित किया जाता है.
.
जहाँ ग़ज़ल गुरु आदरणीय तिलक राज कपूर जी की सरपरस्ती में "ग़ज़ल" के तकनीकी पहलू सिखया जाते हैं वहीँ
आदरणीय अम्बरीष श्रीवास्तव जी काव्य-प्रेमियों को सनातनी  छंदों की बारीकियाँ सिखाते हैं. तीनो आयोजन भी किसी वर्कशाप से कम  नहीं होते, जहाँ प्रत्येक रचना की खूबियों और कमी-बेशियों पर खुल कर संवाद होता है. यही विशेषता ओबीओ का कद बुलंद करती है.  
 .
सनातनी छंद हमारी शान और धरोहर हैं. ओबीओ पर भारतीय छंदों को लोकप्रिय बनाने हेतु विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. उसी का परिणाम है कि आज बहुत से युवा कवि छंदों की तरफ आकर्षित हो उच्च स्तरीय काव्य का सृजन कर रहे हैं. छंदों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही "चित्र से काव्य तक" इनामी प्रतियोगिता को छंद आधारित कर दिया गया है.  
.
मैं यहाँ एक बात और स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि हमारी किसी मंच, समूह या व्यक्ति से किसी प्रकार की कोई भी प्रतिस्पर्धा नहीं है. दरअसल इतने कम अरसे में ओबीओ ने इतने ऊंचे मानक निर्धारित कर दिए हैं कि आज हमारा मुकाबला खुद अपने आप से है.
जिस प्रकार यहाँ पूरी ईमानदारी से सीखने-सिखाने का सिलसिला कायम हुआ है, उसके परिणाम-स्वरूप यदि आने वाले समय में यहाँ से कोई दुष्यंत या अदम निकले तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. लेकिन इसके बावजूद भी हमें किसी प्रकार की खुश-फ़हमी में नहीं रहना है, क्योंकि अभी ये मात्र शुरुआत है अंत नहीं. मंजिल अभी बहुत बहुत दूर है. हमें नज़र मछली की आंख पर रखनी है और पाँव ज़मीन पर. ओबीओ एक परिवार है, इसका यह स्वरूप हमेशा कायम रखना है, मतभेद आएँ तो आयें - लेकिन कोई स्थिति ऐसी उत्पन्न नहीं होने देना जहाँ मनभेद हो जाए.
.
इस अवसर पर मैं ओबीओ बाणी भाई गणेश बागी जी को भी विशेष साधुवाद देना चाहूँगा जिन्होंने यह अनुपम मंच हम सब को प्रदान किया. ओबीओ कार्यकारिणी एवं प्रबंधन समिति के सभी सदस्यों को भी इस अवसर पर हार्दिक साधुवाद देता हूँ  जिनकी अथक मेहनत की बदौलत ओबीओ आज नई ऊँचाइयाँ छूने कि दिशा में अग्रसर है.
अंत में मैं ओबीओ से जुड़े हरेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी  को इसके तीसरे वर्ष में प्रवेश करने के शुभ अवसर पर बधाई देता हूँ.मैं आशा करता हूँ कि आप सब साथियों के सानिध्य में यह काफिला अपनी मंजिलों को फतह करता हुआ निरंतर आगे बढ़ता जाएगा. जय भारती - जय ओबीओ. सादर
.
योगराज प्रभाकर
(प्रधान सम्पादक)
   

Views: 2352

Reply to This

Replies to This Discussion

कई रंग के फूल हैं,कई तरह के साज|

एक तरफ योगीश हैं एक ओर युगराज|

ओ बी ओ के भाल का, बढ़ा और भी ओज
जबसे इस परिवार में, आ कर जुड़े मनोज

आदरणीय प्रधान संपादक जी, आपने  ओ बी ओ की रूप रेखा को संक्षेप में किन्तु बहुत ही करीने से प्रस्तुत किया है , दो वर्षो में हम लोगो ने साथ साथ ओ बी ओ पर धूप सर्दी का आनंद समेकित रूप से लिया है, जिस तेजी से सदस्यों ने ओ बी ओ को दिल से अपनाया है उसके लिए सभी सदस्य बधाई के पात्र है, आप सभी के कारण ही हम लोग योजनायें बनाने एवं उसका कार्यान्वयन में सफल होते है, आप सभी का कोटिश: आभार व् बधाई |

प्रबंधन और कार्यकारिणी सदस्यों को भी ओ बी ओ के तृतीय वर्ष में प्रवेश की बधाइयाँ |

दो साल पहले जो नन्हा सा पौधा आपने भाई प्रीतम तिवारी और रवि गुरु जी के साथ मिल कर लगाया था, आज वाह एक घना छायादार वृक्ष बनने की तरफ अग्रसर है. दो साल का यह सफ़र कई मायनों में यादगार रहा. रचनाकारों को इतना सुंदर मंच प्रदान करने के लिए आपका धन्यवाद. (मेरा आलेख पसंद करने के लिए भी दिल से शुक्रिया).

धन्यवाद नीरज भाई, ओबीओ आज जिस मुकाम पर पहुंचा है यह सब सामूहिक मेहनत का नतीजा है.

योगराज जी,
ओबीओ की दूसरी वर्षगांठ पर - ढेरो ईनाम घोषित किये आपने, धन्यवाद,  कवियों को दोहरा लाभ देकर उनके हौसले को और मज़बूत बनाया है - जहां कवी अपना सन्देश भी पाठको को देंगे और अच्छी रचना लिखने वाले को पुरूस्कार भी मिलेगा  - सुरिन्दर रत्ती - मुंबई

आदरणीय सुरिंदर रत्ती साहिब, मेरा ख्वाब तो यह है कि ऐसा समय आए कि ओबीओ पर प्रकाशित हरेक रचना को ही पुरूस्कार/ पारिश्रमिक से नवाज़ा जाए. सर, कोई "खरांट" पंजाबी जब कुछ ठान ले तो पूरा किए बिना नहीं छोड़ता, आपको पता ही है. दुआ करें कि वो दिन जल्दी आए.

योगराज जी,
दिल तुहाडा बादशाह वरगा, सोच बड़ी उच्ची ए, खरांट तुहाडे नेड़े खलो नहीं सकदे,
इस नेकी दा कुछ न कुछ फायदा रब्ब ज़रूर देवेगा - सुरिन्दर रत्ती - मुंबई 
परम आदरणीय योगराज सर ,
सादर प्रणाम ,
ये जानकार बहुत बहुत हर्ष हो रहा है की ओबीओ दो वर्ष सफलता पूर्वक पार कर तृतीय वर्ष में प्रवेश कर गया है..आपके दो शब्द पढकर बहुत साड़ी जानकारी मिली आज ओबीओ जिस मुकाम पे है .उसमे ओबीओ टीम का अथक मेहनत, अपने लिए बनाये कठोर माप दंड , दुसरो से नहीं स्वयं से प्रतिस्पर्धा आदि .
मुझे बेहद गर्व है की देर से सही पर आज मैं भी ओबीओ से जुड़ गयी हूँ ..यहाँ आकर छंद , गज़ल आदि जानने का मौका मिल रहा है...इसके अलावा दोहे , मुकरिया, छन् पकैया आदि जैसे विलुप्त होते विधा कीभी जानकारी मिल रही है....आपको , बागी जी को प्रबंधन समिति और कार्यकारिणी समिति के सभी माननीय सदस्यों को मेरी हार्दिक शुभकामनाये और ईश्वर से कामना है आपके छत्र छाया में ओबीओ दिन दुनी रात चोगुनी प्रगति पथ पे आगे बढे ..

स्नेही महिमा जी, ओबीओ आज जहाँ भी पहुंचा है उसका श्रेय इस परिवार के हरेक सदस्य की मेहनत और लगन को जाता है. आपकी शुभ कामनायों के लिए दिल से आपका आभार.

आदरणीय योगराज सर सादर प्रणाम ओ बी ओ एक ऐसा साहित्यिक मंच उभर कर सामने आया है जहाँ पर हर कोई सीखने और सिखाने का प्रयास मित्रवत रूप में करता है न कि गुरूवत रूप में, एक ऐसा मंच जहाँ नवोदितों को मित्र भाव से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिलती है जिससे वो साहित्यिक जगत में प्रगति कि ओर अग्रसर हो पाते हैं. इस मंच और सभी सदस्यों को मेरा सादर नमन कि आज आप लोगों ने इसे अंकुरित वीज से वट वृक्ष के रूप में हमारे साहित्य क्षेत्र में स्थापित किया है. मुझे गर्व है कि मै इस साहित्यिक मंच का सदस्य हूँ.

                                 सादर

सीखने-सिखाने की वर्कशाप के रूप में ही इस मंच की कल्पना की गई थी, मुझ बेहद ख़ुशी है कि इस परिवार का हर सदस्य इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जी-जान से प्रयासरत है. आप जैसे प्रतिभावान युवा रचनाकार को पाकर यह मंच भी गौरान्वित महसूस कर रहा है.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
39 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
3 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
8 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service