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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-15 (विषय: आक्रोश)

आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,

सादर नमन।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 15 वें अंक में आपका स्वागत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-15
विषय : "आक्रोश"
अवधि : 29-06-2016-2016 से 30-06-2016 
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  29 जून दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२. सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
११. रचना/टिप्पणी सही थ्रेड में (रचना मेन थ्रेड में और टिप्पणी रचना के नीचे) ही पोस्ट करें, गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी बिना किसी सूचना के हटा दी जाएगी I
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी!

बहुत  ही  शानदार  लघुकथा  लेखन  हुआ  है  आपका  आदरणीय जवाहरलाल जी ,अच्छा लगा पढ़कर .बधाई  प्रेषित  है .

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कांता रॉय जी!

आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको ।

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया नयना जी!

हार्दिक बधाई आदरणीय।

हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी!

वाह | बहुत सुंदर कथा हुई है आदरणीय जवाहर लाल जी | बधाई स्वीकारें |

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी!

नानू के मन में आक्रोश:

सात वर्षीय नानू के मन में आक्रोश भरा था। वह अपनी माँ से शिकायत किए बिना नहीं रह सका, "माँ, मैंने चाचा को गौशाले में दूध दुहने के बाद पूरी गिलाश भरी दूध अपने बेटे मानू को पिलाते हुए देखा।"
चाची के अचानक देहांत के बाद चाचा काफी दुखी रहते थे। उनके दोनों बच्चों के भरण - पोषण की जिम्मेवारी भी,  बड़ी होने के कारण नानू की माँ और पिताजी पर ही आ पडी थी।  चाचा पर गायों को खिलाने और दूध निकालने की ज़िम्मेवारी थी।
पूरे परिवार को एक सूत्र में बांधे रखकर आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी नानू की माँ ने बखूबी अपने ऊपर ले ली थी। नानू ने तो सच्चाई जान ही ली थी। अपने बेटे के मन में संदेह के अंकुर को पनपने से पहले ही उखाड़ने की कोशिश करते हुए नानू की माँ ने कहा, "नानू, मानू की माँ नहीं है न, इसलिए गाय की दूध पहले उसे ही देना जरूरी है, समझ गए न।"
छोटा नानू इस उत्तर से निरुत्तर - सा हो गया। पर नानू की माँ ने बच्चे के मन से विभेद के भाव को मिटाकर पारिवारिक सम्बन्धों में संदेह के तंतुओं को बढ़ने से रोक दिया था। छोटी - छोटी बातों का ख़याल रखकर ही  रिश्तों की डोर को मजबूत बनाते हुए संयुक्त परिवार के ढाँचे को कायम रख जा सकता है।

(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरनीय  ब्रिजेन्द्र जी आप ने बहुत सुंदर लघुकथा लिखी है. अंतिम पंक्ति के बिना भी लघुकथा अपना अर्थ दे रही है. सादर. 

आदरणीय ओमप्रकाश जी, आपने मेरी लिखी लघुकथा पढ़ी, मेरे लिए यही बहुत बड़ी बात है. आपके बहुमूल्य सुझाव मेरे लिए मार्गदर्शन का  काम करेंगे. आभार...

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