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शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"'s Discussions (59)

Discussions Replied To (40) Replies Latest Activity

"वाह बासुदेव भैया, आज के परिवेश की विभत्स तस्वीर को शब्दों का सुंदर जामा पहनाते हुए प…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Jan 11, 2019 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-99

337 Jan 13, 2019
Reply by नादिर ख़ान

"भाई पंकज मिश्रा जी, हरिगीतिका छन्द में प्रतिरोध की सार्थकता बयां करती लाजवाब गजल।हार…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Jan 11, 2019 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-99

337 Jan 13, 2019
Reply by नादिर ख़ान

"डॉ छोटेलाल जी, प्रदत विषय पर अति सारगर्भित सृजन। सच पढ़कर मन खुश हो गया। कोटिशः बधाई…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Jan 11, 2019 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-99

337 Jan 13, 2019
Reply by नादिर ख़ान

"अहमद साहब, बहुत ही उम्दा, प्रसंसनीय रचना। बधाई स्वीकार करें।"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Jan 11, 2019 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-99

337 Jan 13, 2019
Reply by नादिर ख़ान

"भाई महेंद्र कुमार जी, बहुत ही उम्दा सृजन किया है। हर शेर काबिले तारीफ है। बहुत बहुत…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Jan 11, 2019 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-99

337 Jan 13, 2019
Reply by नादिर ख़ान

""नयी आशा" लघुकथा आशा हमेशा की तरह आज भी पूरी रात सिसकियाँ ले रही थी। तकिये पर सुबह…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Oct 31, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-19 (विषय:"पलायन")

312 Nov 1, 2016
Reply by Satyanarayan Singh

"बड़े बड़े ये जो नेता खिताब पहने हुए, छुपाके रखते हकीकत नकाब पहने हुए। लिए कटार वो बैठ…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Oct 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-76

383 Oct 29, 2016
Reply by Samar kabeer

"लाजवाब।छुपाये शक्ल वो बैठे...बहुत खूब"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Oct 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-76

383 Oct 29, 2016
Reply by Samar kabeer

"आ. सतविंदर जी आपकी रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा। गागर में सागर है आपकी रचना। हार्दिक बधा…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Oct 15, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-72

752 Oct 16, 2016
Reply by Arpana Sharma

"बासु भैया आपकी रचना पढ़ी। बच्चनजी की अमर कृति मधुशाला की शैली  में आपकी रचना हृदय के…"

शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" replied Oct 14, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-72

752 Oct 16, 2016
Reply by Arpana Sharma

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
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"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
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"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
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Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
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Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
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Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
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