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भुवन निस्तेज's Discussions (493)

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"बहुत सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय ....."

भुवन निस्तेज replied Nov 28, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 53

415 Nov 29, 2014
Reply by भुवन निस्तेज

"यूँ न शम्मा कोई बुझानी थी ऐ हवा तुझको शर्म आनी थी   थी सियासत बड़ी सयानी थी पर इरादों…"

भुवन निस्तेज replied Nov 28, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 53

415 Nov 29, 2014
Reply by भुवन निस्तेज

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"आदरणीय राणा साहब, इस त्वरित संकलन के लिए आपकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है. इस बार…"

भुवन निस्तेज replied Nov 5, 2014 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 52 में सम्मिलित सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

15 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बधाई हो जनाब इस ग़ज़ल के लिए....."

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

"यह खता तो हम भी कर गए जनाब अब करे तो क्या करें, न दुसृबर कह सकते हैं और न संकलन आने …"

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

"बधाई हो आदरणीय राजेश दीदी को इस मतला ग़ज़ल के लिए...."

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

"बड़ा दिलकश कलाम कह डाला आदरणीय, बधाई स्वीकार करें..."

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

"कहीं जलते हुए दीपक कहीं ठंडा पड़ा चुल्‍हाबता दो तुम गरीबी क्‍यों न जाती हैं दिवाली म…"

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

" ग़ज़ल महंगाई कहर यूँ यार ढाती है दिवाली में बजट से पाई पाई छीन जाती है दिवाली में अ…"

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

"आदरणीय वंदना जी क्या खूब अशआर कहे हैं,  जले दीपक से दीपक तो खिले है खील सा हर मनतो…"

भुवन निस्तेज replied Oct 24, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 52

300 Oct 25, 2014
Reply by अरुण कुमार निगम

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"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
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"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
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"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
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