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शिज्जु "शकूर"'s Discussions (2,374)

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"वाह जनाब समर कबीर साहब ज़िन्दाबाद ग़ज़ल हुई है हर शेर के लिये दादो मुबारकबाद कुबूल फ…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"भाई जान गोरखपुरी जी आपकी ग़ज़ल पर सार्थक चर्चा हुई, सभी पढ़ने वालों को फायदा होगा फि…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आपकी ग़ज़लें तो हमेशा ही लाजवाब होती है आदरणीय निलेश भैया, इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिये…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय गिरिराज सर क्या खूब मतला हुआ है वाह। बाकी के अशआर भी लाजवाब है मुकम्मल ग़ज़ल…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"वाह आदरणीय दिनेश जी बहुत बढ़िया"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय मिथिलेश जी मुशायरे का आगाज़ इस खूबसूरत ग़ज़ल से करने के लिये बहुत बहुत बधाई,…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"निलेश भैया हार्दिक आभार पुछल्ले में एक प्रयोग किया है साये में अतिरिक्त लघु लेने के…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मैं जाँ जिस्म से कब जुदा चाहता हूँ नहीं कुछ तुम्हारे सिवा चाहता हूँ   बस इक दह्र की…"

शिज्जु "शकूर" replied May 22, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय गिरिराज सर जन्मदिन की आपको ढेर सारी शुभकामनायें"

शिज्जु "शकूर" replied May 11, 2015 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"प्रयास हेतु बधाई जान गोरखपुरी जी"

शिज्जु "शकूर" replied Apr 25, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-58

328 Apr 25, 2015
Reply by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri

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दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
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दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
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