For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीयूष द्विवेदी भारत
  • Male
  • India
Share on Facebook MySpace

पीयूष द्विवेदी भारत's Friends

  • Priyanka singh
  • डॉ नूतन डिमरी गैरोला
  • बृजेश नीरज
  • वेदिका
  • भावना तिवारी
  • Sarita Bhatia
  • Gul Sarika Thakur
  • Neelkamal Vaishnaw
  • umeshraghav
  • deepti sharma
  • SANDEEP KUMAR PATEL
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • Dr.Prachi Singh
  • Ashok Kumar Raktale
  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

पीयूष द्विवेदी भारत's Discussions

समस्यापूर्ति ?
16 Replies

समस्यापूर्ति का नाम पिछले कुछ दिनों से, तमाम लोगों द्वारा काफी सुनने को मिला ! इस दौरान मुझे सिर्फ इतना पता चल पाया था कि समस्यापूर्ति साहित्य से जुड़ी हुई कोई क्रिया है ! थोड़ी खोजबीन किया तो एक…Continue

Tags: समस्यापूर्ति

Started this discussion. Last reply by पीयूष द्विवेदी भारत Dec 6, 2012.

 

Welcome, पीयूष द्विवेदी भारत

Profile Information

Gender
Male
City State
नोएडा
Native Place
देवरिया .सजाँव
Profession
छात्र और लेखक
About me
हम एगो छात्र बानी! स्वतंत्र रूप से लेखन के काम भी करेलीं! हमरा खातिर पहिले भारत बा, फेर कुछ अऊर!

पीयूष द्विवेदी भारत's Blog

सफर में चलते रहना ही हमारी कामयाबी है (गज़ल)

अरकान : १२२२/ १२२२/ १२२२/ १२२२

गिरें  तो  फिर  सम्हलना  ही  हमारी  कामयाबी है !

सफर  में  चलते  रहना  ही  हमारी  कामयाबी  है !

 

नही  ये कामयाबी  है  कि  मंजिल  पा  लिया हमने…

Continue

Posted on September 24, 2013 at 8:24am — 26 Comments

लघुकथा : आंधी

एक गाँव था ! वहां बहुत सारे पापी रहते थे ! पाप करते और पानी से धो लेते ! धोते-धोते एकदिन सारा पानी खत्म हो गया ! पानी खत्म होने पर उन पापियों के पाप से गाँव तपने लगा ! उस तपन को पापियों ने नज़रंदाज़ कर दिया और पहले की ही तरह पाप करते रहे ! तपते-तपते आखिर एकदिन बड़ी भयानक आग उठी और उन पापियों को जलाने के लिए बढ़ने लगी ! पानी तो था नही,  इसलिए पापियों ने आग से बचने के लिए उसपर खूब सारी मिटटी डाल दी ! आग दबने लगी, पापी खुश होने लगे कि तभी बड़ी जोर से आंधी आई और सारी मिट्टी उड़ गई ! अब हवा से परवाज…

Continue

Posted on August 7, 2013 at 7:04pm — 10 Comments

तुम मेरी कौन हो

अनंत मनोभाव जब,

शब्द से क्यों मौन हो ?

तुम मेरी कौन हो ?

 

किंचित मुझे भी ज्ञान है,

किंचित जो तुमसे ज्ञात हो,

अनुत्तरित सा प्रश्न ये,

उत्तरित हो जाय, कि

आभास से समीपता,

पर दृष्टि से क्यों गौण हो ?

 

लगता मुझे कि ब्रह्म-सी,

नेत्र-शक्ति से परे,

अनुभवीय मात्र हो !

आत्मदर्शनीय, किन्तु

बाह्य हींन गात्र हो !

 

सत्य क्या ? पता नही,

किन्तु, कुछ अनुमान है…

Continue

Posted on July 31, 2013 at 4:04pm — 4 Comments

गज़ल

शैक्षिक व्यस्तताओं तथा गाँव यात्रा के कारण काफी समय तक ओबीओ से दूर रहना पड़ा ! इतने दिनों में काफी याद आया अपना ये ओबीओ परिवार ! लगभग पाँच महीने बाद आज पुनः ओबीओ पर लौटा हूँ ! सर्वप्रथम सभी आदरणीय मित्रों को नमस्कार, तत्पश्चात ये एक छोटी-सी गज़ल नज़र कर रहा हू ! इसके गुणों-दोषों पर प्रकाश डालकर, मुझ अकिंचन को कृतार्थ करें ! सादर आभार !

अरकान : २१२२/२१२२

जिन्दगी की क्या कहानी !

गर नही आँखों में पानी !

भ्रष्टता…

Continue

Posted on July 20, 2013 at 4:30pm — 24 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:32pm on August 11, 2013, mrs manjari pandey said…

    आदरणीय पीयूष द्विवेदी जी धन्यवाद एकदम मन से  !

At 11:51pm on February 22, 2013, बृजेश नीरज said…

आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!

At 10:57am on December 3, 2012, mrs manjari pandey said…

piush ji aapki rachnayen dekhin acch lagin. maine abhi new hi join kiya hai. hindi me likhne ki prakriya samajh nahi paa rahi hoon. abhi out of country hoon jan.2013 me aa kar ek bar kisi sesamajh kar phir kuch judne ka prayas karoongi.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
1 hour ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service