For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चिहुँकि उठिह 

भोर भइला के पहिले 

जब 

देखिह सपनवा मिलनवा के 

धीरज जनि छोड़िह 

कदम जनि मोड़िह 

परेम पग रहिया 

खनकि उठिह 

जस 

गीत काढ़े कलाई कंगनवा से 

कागा उचरिहें जब 

अंगना सगुनवा 

हमसे मिले, मोरे 

प्रीत क पहुनवा 

लुकाछिपी करत 

निकलि अइह 

जस 

बदरी से निकसे चंदरमा हे 

निनिया खुली त 

सपना सजाइल रही 

माँग 

सजना-सेनुरवा 

भराइल रही 

जस 

भोरे पुरूब असमनवा के । 

- - - प्रमोद श्रीवास्तव - - - 

अप्रकाशित व मौलिक 

Views: 933

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रमोद भाई, राउर पहिल रचना देख रहल बानीं का हम ? बाकिर नेह आ छोह के निकहा रसधार बहवले बानीं रउआ. गीत पक्ष के कमनीयता आ मुलामियत त बड़ले बा राउर एह रचना में नैसर्गिक उछाह बड़ुए जवन एह भासा के बड़हन तागत हऽ. बस एगो निहोरा बा. उमेद बड़ुए जे रउआ साहित्यिक सुझाव का नजर से देखत आ सँकारत ओह के मान देबि.  गीत जब साहित्यिक हो जाले त लोकगीत से तनिका फरक बेवहार करे लागेले. तब शिल्पपक्ष प धेयान दिहल उचित बुझाए लागेला. रउआ एह दिसाईं गँभीरता से सोचत रचनात्मक कोरसिस आ रचना-अभ्यास करत रहब.

दिल से धन्नबाद आ शुभकामना..

जै जै

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी, राउर  सूझाव पढि के जियरा गदगदाइ गइल बा।तनि अउरि खोलि के समझइतीं अपना मे सुधारे खातिर अउर सहुलियत मिलि जाइत। राहि देखावे खातिर आभार । 

आदरणीय प्रमोद श्रीवास्तव जी, रउआ एह मंच पर बनल रहीं आ रचनाकर्म के कूल्हि पहलू प निकहे धेयान बनवले रहीं. सभ बिन्दु एकैगो करत बुझात चल जाई.

जै जै 

जै जै ।

भावो  से ओत प्रोत इस रचना के लिए  हार्दिक धन्यवाद i 

.सादर

राउरा के सादर आभार ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
16 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service