For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 38 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

20 जून 2014 दिन शुक्रवार  से 2जून 2014 दिन शनिवार

पीपल हमारे देश में मात्र एक वृक्ष न हो कर संस्कृतिवाहक के तौर पर देखा जाता है. पर्यावरण- संतुलन में इसकी विशेष भूमिका होती है. ग्रीष्मऋतु में इस वृक्ष की महत्ता विशेष रूप से बढ़ जाती है. ग्रामीण जनता इस वृक्ष की छाँव में ज्येष्ठ मास की तपती दुपहरिया की असह्य चुभन तक भुला चैन की साँस लेती दीखती है. कारण कि, थोड़ी हवा चलने पर भी इसके पत्ते अन्य वृक्षों के पत्तों से कहीं चपल-चंचल हो उठते हैं. साथ ही, ग्रामीण भारत का जनमानस इस वृक्ष से धार्मिक रूप से भी जुड़ा हुआ है. इस वृक्ष को अश्वत्थ कहा गया है. श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने स्वयं को वृक्षों में अश्वत्थ ही बताया है.

तो आइये, इस बार के चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव के आयोजन में पीपल के वृक्ष पर ही छन्दबद्ध रचना करें.
इस बार के आयोजन के लिए जिन दो छन्दों का चयन किया गया है, वे हैं - गीतिका छन्द  और उल्लाला छन्द.

 

एक बार में अधिक-से-अधिक तीन गीतिका छन्द तथा/या पाँच उल्लाला छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है.

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है.]

उन सदस्यों के लिए जो गीतिका छन्द और उल्लाला छन्दों के आधारभूत नियमों से परिचित नहीं हैं, उनके लिये इनके संक्षिप्त विधान प्रस्तुत किये जा रहे हैं.

 

गीतिका छन्द के आधारभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

उल्लाला छन्द के आधारभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

 

लेकिन, इससे पूर्व मात्रिक छंदों में गेयता को सुनिश्चित करने के लिए कलों’ (जैसे, द्विकल, त्रिकल, चौकल आदि) के शुद्ध प्रयोग हेतु उन विन्दुओं को एक बार फिर से ध्यान से देख लें. क्योंकि दोनों छंद मात्रिक हैं.

इसके लिए यहाँ क्लिक करें.

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 जून 2014 दिन शुक्रवार से 21 मई 2014 दिन शनिवार यानि दो दिनों के लिए

रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9694

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

छंदोत्सव के अंक - 38 में सभी सु्धीजनों का हार्दिक स्वागत है

पीपल (छन्द - गीतिका)
============
सभ्यता जग की सुसंस्कृत वृत्तियों की मान है
मान्यता से सभ्यता में धर्म का अनुदान है  
धारणा है वृक्ष पीपल धर्म का रस घोलता
चेतना बन सम्मिलन-सहकार के स्वर बोलता

फिर सदा आशीष देता हर चराचर नाम को
पीढ़ियों, संतान को, दिन-दोपहर, हर शाम को
चंचला हैं पत्तियाँ इनमें समय का स्वर ढला
व्रत मनौती या तपस्या का सतत दीपक जला

सभ्यता के उच्च पल का वृक्ष यह मानक सदा
तप रहा पीपल तभी तो उर्ध्व तन कर सर्वदा
है स्वयं प्रारम्भ शुभ का, अंत का भी साक्ष्य है
शुद्ध है यह वृक्ष पीपल मृत्यु-जीवन वाच्य है
*****************
--सौरभ
*****************
(मौलिक और अप्रकाशित)
 

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, 

सभ्यता जग की सुसंस्कृत वृत्तियों की मान है 
मान्यता से सभ्यता में धर्म का अनुदान है  
धारणा है वृक्ष पीपल धर्म का रस घोलता 
चेतना बन सम्मिलन-सहकार के स्वर बोलता ………......सभ्यता मान्यता धर्म से सम्मिलन-सहकार की निरंतरता                                     

                चेतना स्वरुप पीपल गर्व है.

 


फिर सदा आशीष देता हर चराचर नाम को 
पीढ़ियों, संतान को, दिन-दोपहर, हर शाम को 
चंचला हैं पत्तियाँ इनमें समय का स्वर ढला 
व्रत मनौती या तपस्या का सतत दीपक जला .................”चंचला हैं पत्तियाँ इनमे समय का स्वर ढला”.. वाह !          
                                                                          सही है तनिक भी हवा के विद्यमान होने पर खड़कती  

                                                                          यह पत्तियाँ देवों का आशीष ही हैं, देवों के इस वृक्ष में

                                                                         वास के मान्यता के कारण भी यह पूजित रहा है.                                                

सभ्यता के उच्च पल का वृक्ष यह मानक सदा 
तप रहा पीपल तभी तो उर्ध्व तन कर सर्वदा 
है स्वयं प्रारम्भ शुभ का, अंत का भी साक्ष्य है 
शुद्ध है यह वृक्ष पीपल मृत्यु-जीवन वाच्य है.................... छ्न्दोत्सव के दिए विषय को सार्थक करता यह छंद इस

                                                                         इस तने पावन वृक्ष के सम्मुख नत कर रहा है. 

पीपल के अपने गुणों के कारण धार्मिक महत्त्व पर प्रकाश डालते तीनो ही छंद मन को मुग्ध कर रहे हैं. इस सुन्दर रचना पर बहुत-बहुत  बधाई स्वीकारें. सादर.

आदरणीय अशोकजी, आपकी इस विशद टिप्पणी से मेरे प्रयास को आवश्यक बल मिला है. आपका अनुमोदन मेरे रचनाकर्म के लिए भी आवश्यक है.
सादर धन्यवाद.

आ० सौरभ भाई जी  , पीपल के अपने गुणों के कारण धार्मिक महत्त्व पर प्रकाश डालते तीनो ही छंद मन को मुग्ध कर रहे हैं. इस उत्तम रचना से उत्सव का आगाज करने के लिए कोटि कोटि बधाई .

आदरणीय लक्ष्मण धामीजी, आपको रचना प्रयास रुचिकर लगा, यह मेरे लिए भी संतोष की बात है.
हार्दिक धन्यवाद

आ० सौरभ जी प्रदत्त चित्र से पूर्णतः न्याय करता हुआ पीपल के सभी गुणों से अवगत कराता हुआ बहुत सुन्दर गीतिका छंद से आगाज किया है छान्दोत्सव का बहुत- बहुत हार्दिक बधाई| 

आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपकी शुभकामनाओं से हृदय आप्लावित हुआ.
सादर आभार आदरणीया

आदरणीय सौरभ जी 

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति से छन्दोत्सव का शुभारम्भ हुआ है

धारणा है वृक्ष पीपल धर्म का रस घोलता 
चेतना बन सम्मिलन-सहकार के स्वर बोलता.................बहुत सुन्दर चेतना इन पंक्तियों में 

फिर सदा आशीष देता हर चराचर नाम को.....................सही 
पीढ़ियों, संतान को, दिन-दोपहर, हर शाम को ................वाह! हर पल ही शुभ्रता शुभता निस्सृत होती है इससे 
चंचला हैं पत्तियाँ इनमें समय का स्वर ढला...............बहुत ख़ूबसूरत पंक्ति 
व्रत मनौती या तपस्या का सतत दीपक जला..............ये भी बहुत सुन्दर 

है स्वयं प्रारम्भ शुभ का, अंत का भी साक्ष्य है 
शुद्ध है यह वृक्ष पीपल मृत्यु-जीवन वाच्य है................बुद्ध को भी यही ज्ञान प्राप्त हुआ था पीपल की छाँव तले 

आदरणीय, पीपल की दिव्य चेतना को शब्दों में ढालने का बहुत ही सार्थक सुन्दर प्रयास हुआ है 

बहुत बहुत बधाई स्वीकारिये 

:-))
आपने तो मेरे रचना प्रयास के मार्फ़त पीपल की कुण्डली बना डाली, आदरणीया प्राचीजी.. हा हा हा हा..
आपके इस विशद अनुमोदन से मन अतिरेक में है.
सादर धन्यवाद

पीपल की कुण्डली..............हाहाहा हाहाहा .....ऐसा क्या?...

वैसे मुझे लगा था की वो मैंने अपनी प्रस्तुति में बनायी है .. :)))

ऐसा ? ... . अभी वहाँ पहुँच कर देखता हूँ.

:-))

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service