For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओपन बुक्स ऑनलाईन, लखनऊ चैप्टर समाचार

ओबीओ लखनऊ चैप्टर
 
"साहित्य समाज का दर्पण होता है " ..लेकिन इंसान जब तक अपनी पूरी गतिविधियों के साथ उसके सम्मुख खड़ा नहीं होता है तब तक उसकी छवि उसमें नहीं झलकती है. एक अच्छा साहित्य एक अच्छे समाज और साहित्यकार की स्वस्थ मानसिकता को दर्शाता है. आने वाली पीढ़ियाँ इसी स्वस्थ मानसिकता का झण्डा लेकर आगे बढ़ती हैं.
 
18 मई 2014 को ओबीओ के लखनऊ चैप्टर की पहली वर्षगाँठ थी. इस अवसर पर शहर के कैफ़ी आज़मी अकादमी में एक काव्य-संध्या का आयोजन सफ़लतापूर्वक सम्पन्न हुआ. इस ललित आयोजन की अध्यक्षता वरेण्य गीतकार डॉ. धनन्जय सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि थे ओ.बी.ओ. की प्रबंधन टीम के सदस्य सुकवि श्री सौरभ पाण्डेय. कानपुर से आए हुए वरिष्ठ कवि व गीतकार श्री कन्हैयालाल गुप्त ‘सलिल’ जी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में आयोजन को एक गरिमा प्रदान की.
 
डॉ शरदिंदु मुकर्जी ने ओबीओ लखनऊ चैप्टर के एक वर्ष के इतिहास का संक्षिप्त विवरण देते हुए इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया कि लखनऊ चैप्टर शुरू करने का प्रस्ताव सबसे पहले श्री प्रदीप कुशवाहा जी से आया था और एक साल पहले इस चैप्टर की स्थापना में उनके साथ श्री केवल प्रसाद सत्यम तथा श्री बृजेश नीरज की मुख्य भूमिका रही.
 
कार्यक्रम की शुरूआत श्री धनन्जय सिंहजी के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती की मूर्ति पर श्री सौरभ पाण्डेय तथा श्री सलिलजी के माल्यार्पण से हुआ.
वाहिद अली वाहिद जी द्वारा सरस्वती वंदना गायी गयी.

श्री मनोज शुक्ला ‘मनुज’ जी ने अपनी ओजस्वी शैली में मंच संचालन का कार्यभार सम्भाला.
 
श्री प्रदीप कुशवाहा जी ने अपनी कविता पढ़ने से पहले एक छोटे से भाषण में कहा - ’अपने सपने को पूरा होते देख हमें बहुत अच्छा लगा. मैं नौजवानों को प्रोत्साहन देने में विश्वास रखता हूँ. मैं कभी हार स्वीकार नहीं करता.’ उसके बाद उन्होंने एक छोटी सी कविता पढ़ी.
कवि आशावादी है.
विश्वास है कि एक दिन समाज में वहशीपन के खिलाफ़ एक अच्छा बदलाव आएगा.

नवगीतकार श्री राम शंकर वर्माजी ने एक कुण्डली पढ़ने के बाद एक लोकगीत सुनाया.
शामियाने धूप के
भू से गगन तक छा गये.
आओ ग्रीष्म पाहुने
अच्छा हुआ तुम आ गये......
उनके गीत में इतनी लोच थी कि गरमी के बावजूद सबका मन शीतल हो गया.

श्री राहुल देव हमारे बीच में एक ऐसे शख्स हैं जिनकी रचनाधर्मिता मान्य है. उन्होंने छंदमुक्त कविता सुनायी -
अपने अंतर को
अपने अपने अंतर में ढालो
हे अंतहीन.

उनकी दूसरी कविता गाँव के बदलते परिवेश पर था. कवि को प्रगति पसंद है लेकिन कुछ पाने के सिद्धांत के बदले कुछ खोना भी पड़ता है. देखिये-
मद्धिम मद्धिम रोशनी के बीच
टिमटिमाता गाँव.
मगर कुप्पियों की जगह
बल्बोंने ले ली है.
चौंकिएगा नहीं
समय का चक्र है
 
श्री वाहिद अली वाहिद जी ने एक खूबसूरत गज़ल सुनायी.....
अंधेरे में किसी जुगनू को दिनमान लिख दूँ क्या
गुणों से हीन लोगों को भगवान लिख दूँ क्या.
 
सच्चा कवि वही जो निराशा में आशा का दीपक जलाता है. वाहिद अली जी कहते है-
सुंदर अर्थ निकल आएगा
शब्द-शब्द अभिराम लिखो.

हाफीज़ रशीद जी ने एक मशनवी पढ़ा - निकाहे एक बेवा की.
बहुत ही मार्मिक रचना थी कि खाविंद के मरने के बाद एक बेवा किन किन परिस्थितियों से होकर गुज़रती है.
 
श्री ब्रह्मचारी जी ओबीओ लखनऊ चैप्टर के कोषाध्यक्ष है. उन्होंने लेखनी की महत्ता पर अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत किये.

 

श्री गोपाल नारायण जी ने माँ की महिमा का गुणगान किया.
 
युवा कवि धीरज मिश्र ने अपने रूमानी गज़लों से सभागार का माहौल ही बदल दिया. उनकी मीठी आवाज़ हॉल के चारों तरफ़ गूँज उठी -
सब कहते हैं भूल जा
पर कैसे भूल जाऊँ पहला पहला प्यार.
आधा खिला था गुल वो कुचल कर चले गये.
मैंने तो सिर्फ़ प्यार का इज़हार किया था
इतनी सी बात पर वो मचल कर चले गये.

मैंने (कुंती मुकर्जी) एक कविता पढ़ी. शीर्षक था ‘बहुत दिनों बाद.’
 
श्री आदित्य चतुर्वेदी अपने व्यंग्यात्मक क्षणिकाओं के लिये मशहूर हैं. उन्होंने नेताओं पर अपने व्यंग्य बाण कसे.

 

श्री मनोज शुक्ल जी की गज़लें बहुत ही गज़ब की थीं....देखिये-
यूँ न शरमा के नज़रें झुकाओ प्रिये
मन मेरा बावरा है मचल जाएगा.
 
डॉ. शरदिंदु मुकर्जी ने अपने काव्य पाठ से सबको प्रभावित कर दिया. ‘दिल्ली हवाई अड्डे के भीतर’ और ‘अमौसी हवाई अड्डे के बाहर’ शीर्षक की दो कविताओं के माध्यम से उन्होंने “दो दृश्य” प्रस्तुत किए जिनमें इंसान की त्रासदी झलकती है. मानव जीवन की विसंगतियाँ इनके काव्य में मुखर हो कर आयी हैं.

गज़लों के सरताज अगर वीनस केसरी जी को कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
’अनकहा किस्सा हूँ जो सब पर बयाँ हो जाऊँगा.
क्या पता तुमसे मिलकर दास्ताँ हो जाऊँगा.’
 
लेकिन विस्मित किया उन्होंने अपने नवगीत से.

श्री बृजेश नीरज जी अपने दमदार रचनाओं के लिये मशहूर हैं. अब वे किसी परिचय के मोहताज नहीं -
सुनिये वे क्या कहते हैं –
आँख में कोई सपना तो नहीं
लेकिन देखती हैं उस तरफ़
जो सड़क संसद को जाती है
वह सड़क बंद है.

डॉक्टर आशुतोष वाजपेयी ने अपनी छंद रचनाओं का गायन कर सबके मन में वीररस के भाव जगा दिये.

अनोखे व्यक्तित्व के धनी डॉ. अनिल मिश्राजी मानवता के अच्छे गुणों के पुजारी है. उनके श्रीमुख से सुनने को मिला -
युग नहीं बदल सकता यह कायर की भाषा है
देशभक्ति को दे चाल, नक्षत्र बदला जाता है.
इसीलिये मैं सिंह चाहता हूँ, जिसमें शक्ति विराजे.

श्री कन्हैयालाल गुप्त ‘सलिल’ जी, कानपुर निवासी हैं. इनकी रचना में पूरे जीवन का अनुभव संचित है. देखिये-
ऐसे उलझे तार स्वरों के
गाना भूल गया.
पीड़ा के आघातों से मुस्काना भूल गया.’

ओबीओ के प्रबंधन समूह के वरिष्ठ सदस्य श्री सौरभ पाण्डेय जी का अंदाज़ ही अलग है.

उन्होंने कुछ दोहे और अश’आर आदि के बाद एक नवगीत गाकर सबके मन को आह्लादित कर दिया -
पूछता है द्वार चौखट से
कहो - कितना खुलूँ मैं ?

कार्यक्रम सफ़लतापूर्वक समापन की ओर जा रहा था.  अंत में डॉ.धनंजय सिंह जी ने एक मनमोहक गीत गाकर आयोजन को पूर्ण मर्यादा प्रदान किया -
तुमको अपना कह कह के मैंने अपना अपनापन दे डाला
तन पर तो अधिकार नहीं था, तुमको अपना मन दे डाला.

डॉ.धनंजय सिंह जी ने ओबीओ लखनऊ चैप्टर को बधाई देते हुए अपना आशीर्वाद दिया.

डॉ.शरदिंदु मुकर्जी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही काव्य-संध्या का सफल आयोजन समाप्त हुआ.
जलपान करने के बाद सब लोग खुशी-खुशी विदा हुए.
 
 
-- कुंती मुकर्जी.
 
 

Views: 938

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीया कुंती जी

सुन्दर ब्रीफिंग के लिए बधाई  i  सादर i 

आदरणीया कुन्तीजी, आपने आयोजन को शब्दों में समेट कर उसकी सुन्दर झांकी प्रस्तुत की है. एक तरह से आयोजन में सम्मिलित और व्यवहृत हर कुछ सिमट आया है जिसके होने से आयोजन की सार्थकता संभव हुई थी.
इस तब्सिरा के लिए आपको सादर धन्यवाद तथा आयोजन से सम्बद्ध सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ.
सादर

आदरणीया कुंती मुखर्जी जी
सबसे पहले तो ओबीओ लखनऊ चैप्टर की पहली वर्षगाँठ पर सफल काव्य-आयोजन पर बहुत-बहुत बधाई.

बहुत ही सान्द्र सुन्दर सार्थक रिपोर्ट प्रस्तुत हुई है.
मुझे भी गत-वर्ष लखनऊ चैप्टर के तीन आयोजनों में शिरकत करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है..ओबीओ लखनऊ चैप्टर इस मंच की आभासी दुनिया की वास्तविक परिणति के रूप में मुझे बहुत आह्लादित करता है...

आप सभी को पुनश्च बहुत बहुत शुभकामनाएं व इस रिपोर्ट के लिए धन्यवाद.

bahut bahut badhai ho kunti ji.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service