For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एगो प्रयास : भोजपुरी "कह मुकरी"


(१)
चोरी छुपे मोहे ताकत बाड़न,
टुकुर-टुकुर निहारत बाड़न,
कहेलन रानी खालs पिज्जा,
ऐ सखी दुलहा, ना रे जीजा !


(२)
रहे से हsमर घर बा उजियार,
जाये से लागे सगरो अन्हियार,
शोभा जईसे माथ के टिकुली,
ऐ सखी दुलहा, ना रे बिजुली !


(३)
मोछ मुड़ा भइलन मोछमुड़वा,
लागस जइसे सलमान के जुड़वा,
बदल गइल अब उनुकर तेवर ,
ऐ सखी दुलहा, ना रे देवर !


(४)
बुढ़ पुरनिया कह बेटा गोहरावे,
लईकन क टोली काका बोलावे,
भर गाँव देला उनुके सम्मान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे परधान !


(५)
जेकर मेहनत से सब केहू खाये,
वोकर गुनवा अब केहू ना गाये,
केहू के नइखे तनिको धियान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे किसान !

****

हमार पिछुलका पोस्ट => भोजपुरी लघु कथा :- धोबी के बकरा

Views: 2320

Replies to This Discussion

:-))))))))

पहिलिये मुकरी से माहौल बनि गइल महराज ! वाह - वाह !! राउर कहन एक ओरे, जे कि निकहा दमगर बा,  कह-मुकरी के गठन में  ना रे ..... !  के प्रयोग एगो उच्च स्तर के प्रयोग बा आ ई जब्बर सोच के प्रमाण हऽ.

 

//बुढ़ पुरनिया कह बेटा गोहरावे,
लईकन क टोली काका बोलावे,
भर गाँव देला उनुके सम्मान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे परधान !// ...........  

ई कवन ’परधान’ हवन? माने, पटना के इशारा पटियाला ओरे न इखे नूँ !! .. ह हा हा हाह अहा अहाअहा हा हा हा हाहहहहहाअ हा

बहुत बहुत बधाई गणेशभाई.

 

एगो निहोरा : रउआ भाषा के तनिका अउरी भोजपुरियाईं. .. ..   :-)))

बहुत बहुत आभार भईया, इ त पहिला परयोग रहल हा, लोगन के निक लागी त अभी बहुते चीझ कुल होई | :-)))))))))

bawaal ho jaai ganesh bhai..! pahilka kah-mukri ta jila hila dele ba.. haardik badhaai sweekaar karin..

 

बहुत बहुत आभार विवेक भाई, बागी जिला के लोग त कुछ अइसने नु करेला कि जिला हिल जाव :-)))))))

कहेलन रानी खालs पिज्जा,
ऐ सखी दुलहा, ना रे जीजा !

बदल गइल अब उनुकर तेवर ,
ऐ सखी दुलहा, ना रे देवर !

 

हा हा हा

कमाल धमाल बेमिसाल

जय हो

जय हो

आभार वीनस भाई, जय हो !

(१)
चोरी छुपे मोहे ताकत बाड़न,
टुकुर-टुकुर निहारत बाड़न,
कहेलन रानी खालs पिज्जा,
ऐ सखी दुलहा, ना रे जीजा !

वाह वाह वाह ! पिज्जा क त बहुतई जोर बाड़ा !  खूबइ खिलावा |
(२)
रहे से हsमर घर बा उजियार,
जाये से लागे सगरो अन्हियार,
शोभा जईसे माथ के टिकुली,
ऐ सखी दुलहा, ना रे बिजुली !

वाह भाई बागी जी वाह ! बहुतई  जोरदार व्याख्या कै देईला ! बिजुरिया जाई से सगरा अन्हियारइ त होइला ना !


(३)
मोछ मुड़ा भइलन मोछमुड़वा,
लागस जइसे सलमान के जुड़वा,
बदल गइल अब उनुकर तेवर ,
ऐ सखी दुलहा, ना रे देवर !

 मोछमुड़वा सलमान के जइसन का तेवर बाड़ा | बहुतई खूब !!


(४)
बुढ़ पुरनिया कह बेटा गोहरावे,
लईकन क टोली काका बोलावे,
भर गाँव देला उनुके सम्मान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे परधान !

का कहला भाई ! अब त परधानी क बहुतइ जोर बाड़ा ! ई त बहुतई नीमन कह्मुकरी हउवै |  
(५)
जेकर मेहनत से सब केहू खाये,
वोकर गुनवा अब केहू ना गाये,
केहू के नइखे तनिको ध्यान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे किसान !

अय हय हय ! ई त बहुतइ शानदार कह्मुकरिया कहि देइला ! सच्ची केहू क ईकर तनिकौ ध्यान नइखे | ई खातिर तोहके बहुतई बधाई |

आदरणीय अम्बरीश भाई, राउर इ विस्तृत समीक्षा रचना में चार चाँद लगा दिहलस, बहुत बहुत आभार बा |

बागी भाई, राउर ई पहेली के पढ़ के बरबस मन आकृष्ट हो गईल अमीर खुसरो साहेब के तरफ. काहे की राउर ई रचना ठीक अमीर खुसरो साहेब के रचना अस बा आ ओकर समकक्ष शोभायमान होवे लायिक बा. उहाँ के भी दर-देहात के माहौल से आपन पहेली के खूबसूरती से सजावत रहनी.......बहुत बढ़िया बा राउर ई रचना.

राज भाई, कोशिश कईले बानी कि जवन कह मुकरी के परंपरा हिंदी साहित्य में बा वोकर निर्वाह भोजपुरी साहित्य में भी कईल जाव, रचना के सराहना खातिर बहुत बहुत आभार |

गणेश, 

अब भोजपुरी कक्षा भी लगनी चाहिये...कुछ शब्दों का मतलब मुझे समझ ना आने के कारण कहीं-कहीं अर्थ समझने में दिक्कत हो रही है. और अपनी लाचारी पर तरस व गुस्सा दोनों आते हैं :) तो पहले इन शब्दों का अर्थ स्पष्ट करो तो फिर से रचना पढ़ती हूँ..और कमेन्ट देती हूँ दोबारा. धन्यबाद !

एगो, बाड़न, गोहरावे, लईकन, परधान, नइखे ?????? 

बाक़ी के शब्द यहाँ आप सबकी टिप्पणियों में से भी: राउर, कईले, वोकर, दिहलस, जवन ????? 

हम सर खुजा रहे हैं...समझने को :)

(वाक्य प्रयोग के अनुसार कुछ भोजपुरी शब्दों के अर्थ कुछ बदल भी जाते है, जैसा इस रचना में प्रयोग हुआ है उसके अनुसार आपके द्वारा पूछे गए शब्दों का अर्थ निम्न है )

एगो - एक

बाड़न - रहे है

गोहरावे - पुकारे, बुलावे

लईकन - बच्चे, 

परधान - प्रधान, मुखिया 

नइखे - नहीं है

राउर - आप ( अपने से बड़ों के लिए सम्मान सूचक शब्द ) 

कईले - करना 

वोकर - उसका 

दिहलस - देना ( वाक्य प्रयोग --- नोकर घर साफ़ कर दिहलस = नौकर घर साफ़ कर दिया )

जवन - जो ( रउआ जवन किताब लेले बानी, उ हमार ह = आप जो किताब लिए है, वह मेरा है ) 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service